कोल्हान केंद्र शासित राज्य होगा

कोल्हान, झारखण्ड राज्य से अलग एक केंद्र शासित राज्य होगा। अटोर्नी जेनरल जी.इ.वाहनवती ने राय स्पष्ट कर दी है, की राज्यपाल किसी राज्य के मामले में राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य होगी, किन्तु पांचवी अनुसूची वाले आदिवासी क्षेत्रों में राज्यपाल केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करेंगे। यानि कोल्हान सीधे केंद्र के नियंत्रण में होगी। कोल्हान के लिए हमारी वर्षों से यही मांग रही है। राष्ट्रीय राजधानी के समाचार पत्रों ने अपने मुख पृष्ट पर इस खबर की पुष्टि की है। इस खबर से कोल्हान पोदाहत पंचायत विरोधी संघर्ष समिति जश्न की तैयारी में है। २२ सितम्बर २०१० को १६ प्रखंडों में एक साथ धरना देकर तथा ६ ओक्टुबर २०१० को विशाल जनाक्रोश रैली कर लोकतान्त्रिक तरीके से शांति के साथ हमने अपनी आवाज को राज्य सरकार एवं राज्यपाल को पहुँचाया। राज्य सरकार हमें अपने राज्य की जनता नहीं मानती इसीलिए सरकार की ओर से आक्रोशित जनता से बात करने की कोई पहल नहीं हुई, उलटे जबरन पंचायत चुनाव थोपने के लिए कार्यक्रम घोषित किया गया। संविधानिक प्रावधानों जो आदिवासी हक़ और अधिकारों से सम्बद हैं को पिछले ६३ सालों में कभी लागू करने का प्रयास नहीं हुआ, इसी कारण आदिवासी क्षेत्र आज गरीबी, भुकमरी, बेरोजगारी, पलायन, एवं भ्रष्टाचार के पनाहगार बने पड़े हैं। और तथाकथित विकास के लिए जबरन पंचायत व्यवस्था थोपने का प्रयास हुआ है। अब इन समस्याओं से निजात पाने का समय आ गया है, हम जल्द से जल्द केंद्र शासित राज्य के रूप में केंद्र के सीधे नियंत्रण में संविधान के अनुच्छेद २७५(१) के अधीन संचित निधि (कोल्हान फंड) से विकास के लिए सेमिनार, गोष्ठी, मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल से भेंट, तथा केंद्रीय नेतृत्व एवं राहुल गाँधी से बात करने की रणनीति बनायेंगे। सरकारें पिच्छले ६३ सालों से भोले भले आदिवासियों के ठग कर जल, जंगल, और जमीन को लूट रही है। अब आदिवासी जाग उठे हैं और यदि शांति से बात नहीं बनेगी तो अशांति फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। हमने आगाह किया था की यदि सरकार गंभीरता से जनभावनाओं की क़द्र करे और कोई पहल करे। हमने कहा था की यदि सरकार हमारी बात नहीं सुनती है तो हम केंद्र शासित राज्य की मांग में आगे बद जायेंगे। और अटोर्नी जेनरल ने हमारी मांग के अनुकूल अपनी राय देकर स्पष्ट कर दिया की हमारी मागें जायज थी, संविधानिक थी। पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के पूर्ण रूप से लागु होने से ही हमें न्याय मिल सकता है, हमारी सामाजिक व्यवस्था कोल्हान कौंसिल के रूप में एक स्वायतशासी परिषद् के रूप में कार्य कर सकेगी और हम भी विकास के रास्ते पर आगे जा सकेंगे.

Comments

Ramesh karmali said…
Aapke bicharo she me sahmat hu par ye hawa rook q gayee 2010 me pahal karke chod diya 2018 aapke sath h