शनिवार सबसे शुभ दिन

आदिवासी हो समाज में शनिवार का दिन सबसे शुभ दिन माना जाता है। पृथ्वी की उत्पति के पश्चात् सिंग्वोंगा ने चिंतन के बाद यह पाया की स्तनधारी जीवों की उत्पति के लिए कामगारों की जरुरत है। तब सात ग्रह या हो' में सात पिडा की उत्पति की गई। यही सात ग्रह रुई, सुमी, मुन्ग्डू, बुदू, गुरा, शुकरा, एवं शुनी। यही सात ग्रह विभिन् कर्मकांडों के लिए जिम्मेदार होते हैं। प्रकृति के देवी देवता या कहें सिंग्वोंगा (सिंग्वोंगा धनात्मक एवं ऋणात्मक शक्ति का मिलन स्वरुप प्रकृति में विद्यमान है ) ने जब मानव की उत्पति के लिए इन ग्रहों को काम करने के लिए भेजा तब मानव के सृजन में शुनी ने सबसे ज्यादा मेहनत किया। इन सात ग्रहों में सुमी और शुनी स्त्री स्वरुप हैं और ऋणात्मक शक्ति हैं। शुनी ने स्त्री स्वरुप होने के कारण मानव की उत्पति में अपना योगदान दिया। इसी लिए सिंग्वोंगा ने मानव स्वरुप को इस धरती पर शुनी के सम्मान में शनिवार को दिया। सफ्ताह के सात दिनों को इन्हीं के सम्मान में अलग अलग दिन का नाम दिया गया. इस तरह प्रथम मानव इस धरती पर शनिवार को आया। हो समाज के आदि संस्कृति एवं अध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित सामाजिक रीति रिवाज के दैविक सिद्दांत के अनुसार प्रथम मानव लुकु बुडा की उत्पति इसी दिन हुई थी. इसी लिए हो' समाज में शनिवार सबसे शुभ दिन माना जाता है। हो' समाज के धर्मगुरु दियुरी एवं देवां इसी दिन को अच्छे काम को करने की सलाह देते हैं। अपने धर्म दस्तूर एवं संस्कृति को पहले गाँव के अखाड़ों में प्रति दिन शाम में बैठक कर अगली पीढ़ी को चर्चा कर बताया जाता था, किन्तु आज मोबाईल और आधुनिक चाल चलन सिखने के कारण युवा पीढ़ी इन सब ज्ञान से कोसों दूर होता चला गया है और ये सब बातें किसी दूसरे ग्रह की बात सरीकी हो गई है.

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