दियुरी सम्मलेन २००८

दियुरी सम्मलेन में उपस्थित सभी दियुरिओं ने माना की आज हो' समाज में दियुरिओं की स्थिति अच्छी नही है। धर्मगुरु दियुरिओं के मान मर्यादा में कमी का कारण नशा भी है। उन्होंने यह भी महसूस किया की धार्मिक संगठन की कमी के कारण आज दियुरिओं में धार्मिक नेतृत्व की भावना में काफी कमी आई है। अपने धर्म दस्तूरों के अनुष्ठानों में विविधता के कारण आज हो' समाज अपने भावी पीढ़ी को अपने धर्म दस्तूरों के बारे स्पष्ट नही कह पा रहा है। जबकि सिंग्वोंगा की उपासना एवं देसौली जीरा ग्राम गैशिरी, मंग्बुरु, बुरु वोंगा, गुरु वोंगा नागे एरा विंदी एरा आदि देवी देवताओं की उपासना पढ़ती एक ही है परन्तु जानकारी के आभाव में आज सभी अनुष्ठानों में विविधता देखने को मिल रहा है। और आधुनिक युग में आवश्यक शोध की कमी महसूस की जा रही है। दियुरिओं ने माना की धर्मान्तरण के बाद हो' समाज के रीती रिवाज एवं संस्कृतियों का पालन सम्भव नही है। अन्य धर्म के प्रचारकों के विना दियुरी एवं मुंडा की अनुमति से गाँव में घुसने से हो' समाज के देवी देवता ( देसौली, जीरा आदि ) प्रतिक्रिया करने लगे है, जिससे भी हो' समाज धार्मिक रूप से विखर रहा है और इस पर आदिवासी हो' समाज महासभा को आवश्यक रणनीति बनने का सुझाओ दिया गया। दियुरिओं द्वारा पारित प्रस्ताव :- १- आदिवासी हो' समाज के दियुरिओं के लिए संगठन बनाया जाय जो धार्मिक मामलों को एक ही तरीके से करने एवं उन्हें लिपिबद्ध करने का प्रयास करेगा। २- प्रत्येक दियरी के साथ एक सहायक दियुरी बनाया जाय ताकि दियुरी के अनुपस्थित रहने या कुछ अनुष्ठानों के नही कर पाने की हालत में सहायक दियुरी के द्वारा किया जाय और समाज के धार्मिक अनुष्ठान समय पर पुरे किए जा सकें। ३- पर्व त्योहारों के पूजा विधि विधान में एकरूपता लायी जायेगी। ४- पर्व त्योहारों को आगामी वर्ष से ही एक समय पर मनाया जाएगा।
इसके आलावे महासभा ने निर्णय लिया की अगले वर्ष के पर्व त्योहारों की सूचि सरकार को भेजी जायेगी ताकि ऐसे अवसरों में छुट्टी मिल सके। दियुरिओं को शिक्षित करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए यह निर्णय लिया गया की दियुरिओं के लिए क्लब भवन हरिगुतु में एक विशेष शिक्षण पाठ्यक्रम चलाया जाएगा। इससे दियुरी शिक्षित होने के साथ साथ अपने पद्धतियों पर तर्क भी प्रस्तुत कर सकेंगे। इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा जो इस कार्यक्रम को मूर्तरूप में उतारेगी.

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