मधु कोडा : विकास का रास्ता है, या विनाश का ?

सड़क का चौडीकरण क्यों? मधु कोडा ने ४०- ४० फीट सड़क कोल्हान के लिए नहीं वरन इसे पूंजीपतियों के लिए बनवाया, ताकि बड़ी-बड़ी कम्पनिओं के ट्रक एवं पोखलेन खनिज भर-भर कर कोल्हान से बाहर जा सके, और कोल्हान के लोग जब जागें तब तक यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों खान एवं खनिज को कोल्हान से पूर्णत: समाप्त कर दिया जा सके। वैसे भी कोल्हान का कोई व्यक्ति इन रास्तों के इस्तमाल से आदमी नहीं बनेगा क्योंकि बाज़ार पूंजीपतियों के अनुसार चलता है, और गरीब आदिवासिओं के लिए वैसे बाज़ारों में रेजा कुली के सिवा कोई काम नहीं बचाया जाता। ग्रामीण सड़क जिसके बनने से विकास की उम्मीद की जा सकती है, वह अभी भी आदिम ज़माने की स्थिति में हिलोरें मरवाती है।
इंजीनियरिंग कॉलेज में कौन पढेंगे? क्या मधु कोडा इसका जवाब दे पाएंगे की जिस स्तर की प्राथमिक शिक्षा गाँव के स्कूलों में है, उससे इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने लायक छात्र पैदा किए जा सकेंगे? यदि नहीं तो यह इंजीनियरिंग कॉलेज किसके लिए बनाया जा रहा है? क्या यह बाहरी आबादी को कोल्हान में आबाद करने की कोशिश नहीं है? इसी जगह यदि प्राथमिक शिक्षा को उन्नत बनने के निमित कुछ मॉडल स्कूल गाँव में बनाय जाते जहाँ से अध्ययन कर बच्चे इंजिनियर या मेडिकल में दाखिला ले सकते थे। आज की इस्थिति में इस एजुकेशनल हब का फायदा कौन लेगा?
मधु कोडा ने हो समाज के लिए क्या किया? मुख्यमंत्री रहते कोल्हान के सबसे बड़े पर्व माघे पर्व पर सरकारी छुट्टी क्या उनके बस की बात नहीं थी। मुख्यमंत्री रहते हो' भाषा को राज्य का द्वित्य राज्यभाषा नहीं बना सके। फिर उन्होंने क्या किया जिसपर वे इतराते फिर रहे हैं।
आदिवासी जमीन का दलाल कौन? मुख्यमंत्री रहते मधु कोडा ने सुनील सिन्हा, विनोद सिन्हा को २०० एकड़ सरकारी जमीन आवंटित करवाया, परन्तु आदिवासी हो समाज महासभा को २ एकड़ जमीन नहीं दिला सके।
सुप्रीम कोर्ट का इतिहासिक फैसला समता जजमेंट आदिवासी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का आधिकार सिर्फ और सिर्फ आदिवासियों, आदिवासी कोपरेटिवों एवं आदिवासी समितियों को देता है. कोल्हान एवं झारखण्ड के आदिवासी इस फैसले से कहीं अमीर न बन जायें इसीलिए इसे शिथिल करने के निमित मधु कोडा ने झारखंड के दृष्टि दस्तावेज २००८ में अडवोकेत जेनेरल की नियुक्ति कर यह लाइन जोड़ा जो कहता है की " चूंकि झारखण्ड में ५ विं अनुसूची का उलंघन कहीं नहीं हो रहा है, अत: समता जजमेंट को लागू करने की बाध्यता नहीं है।" और इसी मूळ भावना ने मधु कोडा को जमीन का दलाल बना दिया तथा विलकिंसन'स रूल्स, सी.एन.टी.एक्ट, ५ वीं अनुसूची, पैसा कानून आदि अकाट्य कवच को भेदते हुए एस्सार, जिंदल, मित्तल को जमीन आवंटित कर दिया। इस तरह मधु कोडा ने आदिवासियों के हक़ और अधिकार को बेच दिया। कोल्हान के लाखों बेरोजगारों के पेट में लात मारा। यह निसंदेह कोल्हान के लिए विनाश की बाद का संकेत है।
पुनर्वास निति किसके लिए? कुजू डैम के डूब क्षेत्र में मधु कोडा आश्वासन दे रहे थे, की अब कोई विस्थापित नही होगा। तो फिर मधु कोडा ने अपने मुख्यमंत्रित्व कल में पुनर्वास नीति किसके लिए बनवाया? चाईबासा जैसे शहरों में रहने वालों के लिए या .......... । पुनर्वास नीति वह रास्ता है जो आदिवासियों को अपने जल, जंगल, एवं जमीन से हमेशा-हमेशा के लिए निकल जाने का रास्ता देती है। तो फिर किस तरह का या आश्वासन है?
भ्रष्ट कौन? मधु कोडा मुख्यमंत्री के साथ-साथ कई विभागों एवं पथ निर्माण विभाग के भी प्रभारी मंत्री थे। इनके कार्यकाल में पथ निर्माण विभाग की दर्जनों सडकों में बिना काम किए ही करोड़ों रुपये की निकासी की गई थी, जिसपर औदिटर जनरल ने भी आपत्ति की है और मामला जाँच की प्रक्रिया में है। भ्रष्टाचार का आलम उनके नेतृत्व काल में यह था की झारखण्ड देश के सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में सर्वेक्षित हुआ, और बिना जुर्म किए ही हम, आप और झारखण्ड की जनता भ्रष्ट कहलाई । आज उसी भ्रष्टाचार का करोड़ों रूपया पिछले चुनाव में पानी की तरह मधु कोडा एवं उनके गुर्गों द्वारा बहाया गया।
जवाब हमें ही सोचना है। कोल विद्रोह जैसे लडाई के साक्षी हम कोल्हान के लोग क्या ऐसे लोगों को वोट देकर अपने पैरों पर कुल्हाडी मरने का काम करेंगे?
फैसला आपको करना है।

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