तीसरी आजादी - १

भारत को आजाद हुए 65 साल हुए और भारतीय संविधान को ६3 वर्ष। भारत को पूर्ण लोकतान्त्रिक गणतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाय गए। सबसे पहले तीसरी आजादी को समझने के लिए हमें अपने मानव विज्ञान एवं इतिहास को याद करना होगा। आदिवासी शुरू से म: नम, चलू: नम वोंगा बुरु के साथ अपने खेती बारी के जमीन में प्रवेश किये। कालांतर में जंगलों के फल फूल एवं कंद मूल पर अपनी निर्भरता इन्ही खेती के कारण कम होती गयी। तीन सूत्री मंत्र वोंगा बुरु, दुपुब दिशुम दोस्तूर एवं राजनितिक व्यवस्था मानकी मुंडा के कारण हो" समाज अभेद किला बना रहा। कभी साहूकारों ने तो कभी राजा-महाराजाओं ने तो कभी अंग्रेजों ने हो आदिवासियों के रहवासों को कब्ज़ा करने का प्रयास किया गया। वोंगा बुरु से शक्ति लेकर एवं हतु दुनुबों में निर्णय लेकर मानकी एवं मुंडा के नेतृत्व में बड़ी-बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी गयी। हर लड़ाई में हमारी जीत होती रही। दुपुब दिशुम दोस्तुर, आदि संस्कृति एवं आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित सामाजिक रीती-रिवाज के दैविक सिधांत पर आधारित था। और प्रकृति हमारी रक्षा में निरंतर सजग रहा। यानि सभी वोंगा बुरु हमारी रक्षा में अपना योगदान अच्छी तरह दे रहे थे। चूंकि हमारे धार्मिक आस्था के केंद्र सभी प्राकृतिक थे और हैं। अंग्रेज १७७० के आस-पास गुंटिया अन्डिया में पैर रखे थे। उस समय हमारे वीरों ने उनका डटकर मुकाबला किया और उनको मार भगाया। उनके कई सैनिक मारे गए और कई घायल आवस्था में भाग गए। उसके बाद तक़रीबन ६४ साल बीत गए लेकिन कोल्हान को अपने अधीन कोई नहीं ले पाया। हाँ कुछ समझौते जरूर हुए थे, किन्तु वे सभी अपनी शर्तों पर आधारित थे। जब हो' आदिवासियों को हराया नहीं जा पा रहा था तो उन्होंने कूटनीति का सहारा लिया। थोमस विलकिंसन'स एक कूटनीतिज्ञ था न की कोई सैनिक। उन्होंने यहाँ आकर लड़ाई के लिए कूटनीति का इस्तमाल किया। इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम यहाँ की भाषा हो' को सीखा। फिर उन लोगों को पहचाना जो कोल्हान की दलाली कर सकते हों। जिसमें पेयांये (तांती) लोगों को दलाली के लिए उपयुक्त पाया। कालांतर में उन्ही के दलाली के कारण कोल्हान के कई वीर पुरुष पकड़े गए थे। उसके बाद हमारी ताकत के कुछ मूल मन्त्रों को भी समझने में विलकिंसन'स ने सफलता हासिल की। जैसे दुपुब दिशुम दोस्तुर की शक्ति। इस बीच १८२०-२१ में भयंकर युद्ध हो' लोगों के साथ हुआ जिसमें हमारे वीरों ने अंग्रेजों को चट्टी का दूध याद दिला दिया। अंग्रेज भागने पर मजबूर हुए, उनके सैकड़ों सैनिक तीर धनुष एवं हुनुर्लंग के पत्थर से मारे गए। इस बीच विलकिंसन'स ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू किया और अपनी कूटनीति का इस्तमाल करने से पहले एक बार और युद्ध थोप दिया जो १८३१-३२ में कोल विद्रोह के रूप में हुआ। सेरेंग्सिया में अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी। हमारे पूर्वजों ने जो भी युद्ध किया उसके पीछे यह सोच रही की हम तो अपनी जिंदगी देख चुके हैं। अपनी सम्पति के रूप में हमारे पास जल, जंगल, और जमीन ही है। अपने आने वाले कल को, अपने बच्चों को देख कर उन्होंने इसी सम्पति को बचा कर रखने का प्रण लिया और भयंकर युद्ध करके भी अपने जल, जंगल और जमीन को हमारे लिए बचाए रखा। आज हम जिस जमीन पर खेती कर पा रहे हैं, चल पा रहे हैं, बैठ पा रहे हैं, वह हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि के कारण ही बच पाई है।

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