तीसरी आजादी-२

विलकिंसन' ने हमको, हमारी संस्कृति को जानने समझने के बाद इस तरह के विद्रोह को समाप्त करने की रणनीति पर काम कियातब उन्होंने वोंगा बुरु, दुपुब दिशुम दोस्तुर, एवं राजनितिक व्यवस्था मानकी मुंडा में से मानकी मुंडा को ललचायाउन्होंने मानकी- मुंडा को इस बात के लिए राजी किया की लगान तो आप ही बसुलेंगे तथा आपका पद आपके वंश में ही रहेगाइस बात से मानकी-मुंडा लालच में गए और असुरा गाँव के जमादार मानकी के साथ इन्ही कुछ विन्दुओं पर एकरारनामा हो गयाउस समय उन्होंने देखा की आदिवासी अपने पारंपरिक व्यवस्था के कट्टर समर्थक थे, उनको किसी तरह की परेशानी पसंद नहीं था, शांति से जीवन यापन पर आधारित आदिवासियों की जीवन शैली थीआशांति की स्थिति में विद्रोह उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती थीउन्होंने देखा की कोर्ट कचहरी के कारण भी हो' लोगों के बीच काफी अशांति थीतब कोल विद्रोह के पश्चात् अंग्रेजों ने अपने चार्टेड अधिनियम में व्यापक फेरबदल कर आदिवासियों के लिए बंगाल रेगुलेशन १३ सन १८३३ बनाया और दिसम्बर १८३३ को इसे स्वीकृत कर दिया गयायह पूर्णत: स्वशासन व्यवस्था को स्वीकार करने वाली कागज थीयही कोल्हान का पहला संविधान थाइसमें सिविल एवं क्रिमिनल मामलों के सभी अदालतों को जो आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे थे को रद्द कर दिया गया और खुले आसमान के नीचे पंचायतों (हतु दुनुबों) को स्वीकृति दे दी गईइसी व्येवास्था को आगे बढ़ाते हुए १८३७ में विलकिंसन' रुल जारी किया गया, जो एक तरह का दस्तूर व्यवस्था को ही नियम बनाकर लागु किया गयामानकी एवं मुंडाओं को पट्टा देकर सम्मानित किया गया और इस तरीके से हो' आदिवासियों के अशांति को हमेशा-हमेशा के लिए शांत कर दिया गयाजिस क्षेत्र में विलकिंसन' रूल था उन्हें सिडुल डिस्ट्रिक्ट एक्ट १८७४ के तहत पहले अनुसूची में रखा गयाभारत देश के आजाद होने पर विलकिंसन' रूल जैसे नियमों को बरक़रार रखते हुए संविधान के अनुच्छेद १३() में जगह रुढी वादी प्रथाओं के रूप में स्थान दिया गयाइस तरह मानकी-मुंडा व्यवस्था एक संविधानिक संस्था हो गईइन क्षेत्रों के नियंत्रण एवं प्रशासन के लिए पांचवी अनुसूची को अनुच्छेद २४४() के तहत रखा गयाइसके लिए आदिवासियों को अनुच्छेद ३४२ के अंतर्गत आदिवासी होने के गुणों को पालन करना होगाउन्ही के लिए अनुच्छेद २४४() बनाया गयाइसे ही पांचवी अनुसूची कहा जाता है

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