आज कोल्हान पंचायत चुनाव एवं मानकी मुंडा व्यवस्था के बीच झूल रहा है। मानकी एवं मुंडा इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। जमीन से जुड़े हुए बुद्दिजीवी भी पंचायत चुनाव का विरोध कर रहे हैं। इसके निम्न कारण हो सकते हैं। वास्तव में मानकी मुंडा व्यवस्था दस्तूर par आधारित एक सामाजिक व्यवस्था है, जबकि पंचायत व्यवस्था दलिये aadhar par एक राजनितिक व्यवस्था है। मानकी मुंडा व्यवस्था में '' मोए हो'' यानि पञ्च गण के फैसले को माना जाता है, जबकि पंचायत व्यवस्था में मुखिया, सरपंच की मनमानी से सामाजिक व्यवस्था विग्ड़ेगी। panchayअत व्यवस्था एक परजीवी शासन व्यवस्था है, जबकि आदिवासी समुदाय अपना शासन, स्वशासन व्यवस्था में सुशासित रहते हैं। पंचायत में गुप्त मतदान के द्वारा चुनाव से पदाधिकारी बनते हैं, जबकि मानकी मुंडा व्यवस्था में खुले आसमान के नीचे सर्वसहमति से चयन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। पंचायत व्यवस्था में अशिक्षित मुखिया, सरपंच अत्यंत शिक्षित नौकरशाह के आसन शिकार बनेंगे, और भ्रष्टाचार के नए केंद्र होंगे। विकास के नाम से आया पैसा लिफाफों में बंद होकर पुन: नेता, मंत्री, ठेकेदार एवं नौकरशाहों के हाथों में चला जायेगा। जबकि स्वशासन व्यवस्था में आया पैसा सुरक्षित एवं दुबारा वापस किसी नेता, मंत्री, एवं नौकरशाह के हाथों में नहीं pahunchega । चूंकि यहाँ "मोए हो" के अधीन सभी फैसले निहित हैं और बचे पैसे को गाँव के अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा। गाँव में १ रूपया आएगा तो १ रूपया खर्च भी होगा। जबकि पंचायत व्यवस्था में मौजूदा भ्रष्टाचार के कमीशनखोरी से १ रूपया में से मुश्किल से १५ पैसे ही जमीन par पहुँच पायेगा। इस हालत में कोल्हान में पंचायत चुनाव का विरोध राष्ट्रीय देशज पार्टी अपने बैन्नेर तले, एवं कोल्हान रक्षा संघ, मानकी मुंडा संघ कर रही है।
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