झारखण्ड में सरकार बनाने का खेल अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। वैसे भी सरकार अभी आई.सी.यू.में है। झारखण्ड सरकार ही एक ऐसी सरकार है जिसका हम सिक रिपोर्ट बना सकते हैं। झारखण्ड अलग राज्य बने 12 साल हो गए पर अभी तक हमारे नेताओं को राज करना नहीं आया। यह अत्यंत दुःख की बात है। अलग राज्य का सपना अब सपना ही रह गया। देसी विदेशी लोग झारखण्ड को लूट रहे हैं और हम मूक दर्शक बने देखने पर मजबूर हैं। क्या इस मजबूरी को ख़त्म नहीं किया जा सकता? मुझे लगता है इस समय झारखण्ड में एक सरकार की जरुरत हैं न की आदिवासी या गैर आदिवासी मुख्यमंत्री। मेरे ख्याल से एक गैर आदिवासी मुख्यमंत्री राज्य को एक आदिवासी मुख्यमंत्री से बेहतर चला सकता है। क्योंकि आदिवासी विरोधी काम करने से वह डरेगा। जबकि इन दस सालों में हमारे आदिवासी मुख्यमंत्रियों ने हमें सिर्फ लूटने का काम किया। राज्य को बर्बाद करने का काम किया। हम लोग विभिन्न मुद्दों पर लगातार बहस कर एक सोच पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं पर यह बात हमारे नेताओं तक नहीं पहुँच रही है। और पहुंचेगी भी नहीं क्योंकि नेताओं के आँख, कान, सभी भ्रष्टाचार के विभिन्न लालचों से भरे पड़े हैं, अनपद हैं, संविधान की कोई जानकारी नहीं है, निति सिद्दांत की बात उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हाँ कौन से फाइल को सईन करने में कितना सईनींग अमौंट मिलेगा उसका उन्हें अच्छा खासा ज्ञान है। बेहतर होता हम सभी इस राजनीती को सुधारने के लिए भी कुछ करते...
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