चाईबासा नगरपालिका द्वारा राजस्व गाँव का अतिक्रमण

कोल्हान में सदियों से मानकी मुंडा पीढ व्यवस्था कायम है। १९६९ में तत्कालीन बिहार सरकार ने समीपवर्ती १३ गावों को चाईबासा नगरपालिका में परिसीमित कर चुनाव का प्रयास किया था, जिसे मानकी एवं मुंडाओं ने जबरदस्त विरोध करते हुए सरकार को संविधानिक प्रावधानों के आलोक में झुकने पर मझबूर कर दिया था। और उस समय के उपायुक्त ने शांति व्यवस्था के मद्देनजर नगरपालिका के वार्डों को निरस्त कर दिया था। कहा गया की अगले आदेश तक वार्ड को समाप्त कर दिया जा रहा है। नतीजन तत्कालीन राज्यपाल ने प्रशानागत १३ गावों को चाईबासा नगरपालिका से बाहर करने का अधिसूचना जारी किया। यह अधिसूचना १/१०/१९७५ को जारी किया गया। तत्पश्चात २००५ में झारखनडी सरकार ने चुनाव करने के लिए अधिसूचना जारी किया. बिना वार्ड गठन के ही नगरपालिका का चुनाव करा दिया गया। भारत के संविधान के अनुच्छेद २४३(य ग) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में नगरपालिका का विस्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वहां पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था है। फिर भी यहाँ की प्रशासन ने पूंजीपतियों के दबाव में चुनाव करा लिया तथा नगरपालिका घोषित कराकर अवैध रूप से हड़पे गए जमीन को वैध ठहराने की कोसिस में हैं। चाईबासा नगरपालिका का आदिवासी हो समाज महासभा एवं खुंट कटी भूमि रक्षा समिति की ओर जोरदार विरोध किया जा रहा है। यह मुल्त: पांचवी अनुसूची का घोर उल्लंघन है और इस संविधानिक अधिकार के आर पार की लड़ाई लड़ा जायेगा। ऐसा महासभा का मत है।

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