गोअरि (प्रार्थना) - १

हो समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण गोअरि (प्रार्थना) है प्रतिदिन नहा धो कर इसका उच्चारण करने से प्रकृति एवं प्राकृतिक देवी देवता खुश होकर हमेशा साथ देते हैं। यह प्रार्थना हो समाज महासभा के धर्म सचिव दास राम बरदा ने बनाया है।
ओंग मान्ग्बुरु देशौली,
ओंग जोअरम तिंग दोम, सिंग्वोंगा ! रजा, : लेकाम हाड़ी तना, तोवा लेकाम सेतेंग तना, अमगेले इयम तना , अरदास तना, अमगेले जोवारा तना, नेयोरा तना, अमगे : रे, सेंगेल रे, होयो रे, जीयु जुन्तु मनोवाकोम षिर्जोंन केना, जते केना। नेन ओत-गुमी, ओत-ताल, पाताल, सोरोग, मोन्चो रेन रजा। अम: सनंग, अम: शिर्जोंन बुगी लेका, नपाय लेकागे बइयो: तइयो: चा।
अम: सुकु अम: सनंग लेकाते गोराम गैन्शिरी, देशौली, पौणि, जयरा, गोवाँ वोंगा सुल्लते : नम, चलु: नम, नगे एरा-विंदी एराको, बीर बेंडेकर, तायसुम, बेड़ा कड़िया, बुरु बगिया, गड़ा कंचुयी एमनकोम जते तला कड कोवा। तिसिंदो अम: सुकु, अम: सनंग पुराय लगिड अले/अंय ----- कणा मनमी, कोंका होंको अम: ता: रेले हरी तन-गोवारी तन, जोवारे तना। तिसिंग दो अलेया रान्सा, अलेया: सनंग पुरवो:चा, दुकुयते शुकु-सुमुकी होराले चंडअंग बेताय चा, दुकु सहतिंगे पे:ते: पयिर तलेम, पुयुर तलेम, दिम्सी अयर चंडअंग तेरसा होराले नामेचा। दुकुयते पुछु: परोम सेयाँ उदुबलेम, सुषर होरा चुन्दुलालेम। पाप होरयते अतोम्लेम पुयुर होरा इन्गुलालेम

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