ओत गुरु कोल लको बोदरा जयंती

आदिवासी हो समाज महासभा के तत्वावधान में खूँटपानी प्रखंड के पसेया गाँव में लको बोदरा की जयंती मनाई गई। इस जयंती का मकसद यही था की वारंग्क्षिती लिपि के खोजकर्ता स्व० लको बोदरा को एवं उनके आदर्शों को कैसे समाज के बीच फैलाया जाय। इसी कड़ी में यह भी महसूस किया गया की जिस तरह से समाचार पत्रों में उनकी सगी बहनों एवं उनके घर की माली हालात के बारे छापा था, उससे आहत होकर महासभा ने मुकेश बिरुआ एवं मधुसुदन मारला को इसके बारे जानकारी हासिल कर आवश्यक कारवाही करने का निर्देश दिया। उनके गाँव में जाने पर पता चला की उनका पुस्तैनी घर टूटने के कगार पर है, उनकी सगी बहनों का भी स्थिति काफी दयनीय है। तुरंत दोनों के नेतृत्व में एक प्रतिमंडल ने बी.डी.ओ खूँट पानी से मिलकर वास्तु स्थिति की जानकारी दी और महासभा की मंशा स्पष्ट की गई की किसी भी सूरत में उनकी सगी बहनों को इंदिरा आवास आवंटित हो, तथा वृधावस्था पेंसन उन्हें दिया जाय। महासभा के आग्रह पर तुरंत कारवाही करते हुए उनके जयंती समारोह में ही इंदिरा आवास के लिए चेक प्रदान किया गया। साथ ही वृधावस्था पेंसन भी स्वीकृत हुआ।
उनके पुराने आवास को उसी पुराने स्वरुप में बनाने के लिए जमशेदपुर हो समाज के लोगों ने पहल किया जिसे केंद्रीय समिति हो समाज महासभा ने स्वीकार करते हुए पुन: दोनों को जयंती के लिए प्रयास करने की जिम्मेदारी दी। जमशेदपुर वालों ने १ लाख तक सहयोग राशि देने का आश्वासन दिया। इससे उत्साहित होकर महासभा ने बड़े स्तर पर जयंती समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया। जयंती में लको बोदरा के नाम से एक स्मारक पत्थर गाडा गया. दियुरी द्वारा पूजा कर उद्घाटन किया गया। लको बोदरा विधि से भी पूजा पाट हुआ. फिर आम सभा का आयोजन में केंद्रीय अध्यक्ष हरीश चन्द्र सिरका ने मरणोपरांत लको बोदरा को ओत गुरु कोल लको बोदरा की उपाधि से सम्मानित किया। साथ ही उलिगुतु से बोया तक सड़क का नामकरण ओत गुरु कोल लाको बोदरा पथ रखा गया.

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