पंचायत चुनाव के पीछे की सच्चाई

१२ जनवरी २०१० को पंचायत चुनाव से सम्बंधित फैसला आया नहीं की राज्य सरकार हरकत में गई इसे लागु करवाने के लिए। किन्तु १९९७ में आदिवासी हक़ और अधिकारों के लिए समता जजमेंट भी तो सुप्रीम कोर्ट से ही आया था, उसे लागु करवाने के लिए ऐसी जल्दबाजी क्यों नहीं हुई? कैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध सकड़ों ऍम.ओ.यू.पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के लिए हस्ताक्षर हो गए? यह इसीलिए हो रहा है क्योंकि समता जजमेंट आदिवासियों की जमीन को किसी भी गैर आदिवासी, यहाँ तक की सरकार को भी लेने का अधिकार नहीं देती है, और पंचायत व्यवस्था आदिवासियों की जमीन को लुटने की आजादी देती है। ज्ञात हो आंद्र प्रदेश, छतीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, बंगाल में पंचायत चुनाव हो चुके हैं और वहां भोले भले आदिवासी हथियार उठाने के लिए क्यों मजबूर हुए? अंगूठा छाप मुखिया को खरीद कर पुरे गाँव की जमीन ले ली जा रही है और यही कारण है की लोग हथियार उठाने पर मजबूर हुए हैं। क्या हम आप भी यही चाहते हैं?

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