पंचायत की परिकल्पना राजीव गाँधी के परिपेक्ष्य में

व्यक्तिगत जीवन से सीधे प्रधान मंत्री के पद को सुशोभित करने वाले राजीव गाँधी को तथाकथित पूंजीपतियों ने गाँव में विकास के पैसे पहुँचाने के लिए पंचायत की परिकल्पना दी, यों कहें भ्रष्टाचार को गाँव-गाँव में पहुँचाने के लिए व्यवस्था की वकालत की जो संविधान के ७३ संशोधन में पंचायत कानून के रूप में भारत के संविधान में दर्ज हुआ।

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