२ दिसम्बर १८३३ को आदिवासी हो लोगों का पहला संविधान बंगाल रेगुलेसन १३ सन १८३३ लागु किया गया था। यही संविधानिक प्रावधान अनुसूचित जिला अधिनियम १८७४, भारत अधिनियम १९१९, भारत अधिनियम १९३५, होते हुए भारत का संविधान में पांचवी एवं ६वि अनुसूची में दर्ज होकर है। बंगाल रेगुलेसन १३ सन १८३३ हो आदिवासियों का पहला लिखित दस्तावेज़ है और इसी की याद में कोल्हान में २००६ से कोल्हान दिवस मनाया जा रहा है। इस कानून के तहत कोल्हान में देश के सामान्य क्षेत्रों का कानून को इस इलाके में समाप्त करते हुए स्वशासन व्यवस्था को मंजूरी दी गयी थी। यानि विधि वहिर क्षेत्र घोषित हुआ था। आज भी हम लोग उसी कोल विद्रोह के वीरों का क़र्ज़ पर पांचवी अनुसूची में विधि वहिर क्षेत्र के रूप में दर्ज होकर है। किन्तु दुर्भाग्य की बात है की आजादी के ६३ साल बाद भी संविधान के इन प्रावधानों को आज तक लागु तक नहीं किया गया और आदिवासी हक़ और अधिकारों का दिकु फायदा के लिए गला घोंटा जा रहा है। हमें जागने एवं जगाने के लिए ही हमलोग कोल्हान में कोल्हान दिवस मनाकर लोगों तक सन्देश पहुँचाने का काम कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं की आप सभी कोल्हान वासी अपने अपने क्षेत्रों में भी कोल्हान दिवस की शुरुआत करेंगे और हो समाज को संगठित करने में योगदान देंगे।
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