चाईबासा नगरपालिका के १३ गाँव को हटाने एवं हो भाषा को द्वितय राज्य भाषा बनाने में हो समाज महासभा की अहम् भूमिका
इस विधान सभा सत्र में चाईबासा नगरपालिका के अगल-बगल के १३ गाँव को हटाने एवं हो भाषा को द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव को पारित किया गया। इस पूरे प्रकरण में हो समाज का एकजुट होना एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा। खरसावाँ उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री को हो समाज के लोगों ने बहुत मुश्किल में डालते हुए शर्तों के तहत वोट दिया था। उन शर्तों में १- सी.एन.टी.एक्ट का संशोधन नहीं करने २- जनजातिय सलाहकार परिषद् में हो समाज के अलावे मुंडा, उरांव, और संथाल समाज से भी सदस्य नियुक्त करने, ३- हो भाषा को द्वितीय राज्य भाषा बनाने, ४- मानकी मुंडा व्यवस्था को मजबूत करने, सहित ९ मुद्दों पर सहमती बनी थी। इस बीच कई अन्य मुद्दों पर भी काम चल रहा है और उम्मीद है कुछ दिनों में और भी अच्छे समाचार मिल सकते हैं, बसरते हो समाज इसी तरह एकजुट होकर काम करे। झारखण्ड विधानसभा में जिस तरह इस बार सड़क से लेकर सदन तक सामाजिक एवं राजनितिक प्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाला यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में काफी कुछ हो समाज को मिल सकता है। सामाजिक और राजनितिक जागरूकता के लिए कोल्हान में आदिवासी हो समाज महासभा, आदिवासी हो समाज युवा महासभा, पांचवी अनुसूची अनुपालन समिति, मानकी मुंडा संघ, कोल्हान रक्षा संघ, एते: तुर्तुंग पितका अखाडा, आदि संगठनों के बैनर तले सामाजिक और राजनितिक जागरूकता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पांचवी अनुसूची अनुपालन समिति की ओर से पूरे कोल्हान क्षेत्र में संविधानिक जानकारी दी जा रही है, तथा समर्पित कार्यकर्ता तैयार किये जा रहे हैं। सम्पूर्ण आदिवासी समुदाय को दिकुओं द्वारा किये जा रहे साजिशों के बारे जागरूक कर अपने हक़ और अधिकारों को बचाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जनांदोलन तैयार करने पर काम चल रहा है। देखें आगे क्या होता है?
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