समता जजमेंट पर कार्यशाला

एक्स.आई.एस.एस.रांची में अक्टूबर २०११ को आयोजित सेमिनार समता जजमेंट एवं पांचवी अनुसूची में समता के एक्जीक्युतिव डिरेक्टर रवि रेवोप्रोगाड़ा और एम एम पी के चेयरमैन आर.श्रीधर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। रवि ने कहा की समता निर्णय मैनिंग के खिलाफ नहीं है पर यह जजमेंट तो सिर्फ पांचवी अनुसूची का व्याख्या मात्र है। और मैनिंग आदिवासी कोपरेटिव के माध्यम से करना है। झारखण्ड सरकार आदिवासी विरोधी निर्णय ले रही है जिस कारण समता निर्णय एवं पांचवी अनुसूची का उल्लंगन जारी है। मैनिंग लीज आदिवासी कोपरेटिव को न देकर आदिवासियों के हक़ को लूटा जा रहा है। झारखण्ड, महाराष्ट्र, आंद्र प्रदेश, ओड़िसा, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पांचवी अनुसूची क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा की देर ही सही इस पर चर्चा जरुरी है। इस जजमेंट में सरकार को पांचवी अनुसूची के प्रति जिम्मेदारी एवं कर्तव्यों का बोध कराया गया है। कहा की समता जजमेंट में पांचवी अनुसूची की सारी बातें निहित है, और जब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे लागु करने का आदेश दिया है तो बातचीत के माध्यम से झारखण्ड में लागू हो सकता है। उन्होंने इस लड़ाई में झारखण्ड का साथ देने की भी बात कही।
आर.श्रीधर ने कहा की संविधान के अंतर्गत आदिवासी अपनी परिकल्पना कैसे कायम करे यह पांचवी अनुसूची में बताया गया है। संविधान को ताक में रखकर भूमि अधिग्रहण किया गया है। कहा की खनिज संसाधनों को ट्रैक करने की आवश्यकता है। ताकि इस पर विचार हो सके की भविष्य में आने वाले पीढ़ी को हम क्या देंगे। खनन विभाग सिर्फ खनन की सोचती है, खनन क्षेत्रों के विकास की नहीं। इसी कारण आज आदिवासियों ने विरोध तेज किया है। इस आंदोलनों में हम बौधिक शक्ति के श्रोत के रूप में सदा आपके साथ रहेंगे।
सेमिनार में राजू पाहन महासचिव अखिल भारतीय आदिवासी महासभा, विजय कुजूर उपाध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने भी अपने विचार रखे।

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