आदिवासी हो समुदाय में गोरम गैन्शिरी देवता को प्रथम स्थान में पूजा जाता है। यह गाँव के लिए किया गया निश्चित सीमा के अन्दर निवासियों का मूल इष्टदेव(गाई /Founder) के रूप में होता है। किसी भी नए काम एवं पूजा अनुष्ठान या शुभ कार्य करने से पहले ग्राम को पूजा जाता है, क्योंकि वह पहला गाई (आधार) होता है, जिनके काटा मांडा/चन्दंग(पाद) प्रथम पड़ने से ही गाँव की नींव या आधारशिला रखी जाती थी। आज भी आदिवासियों के गाँव में आधारशिला गढ़े पवित्र पत्थर मिलते है। श्री गणेश की बात हिन्दुओं में आज काफी प्रचलित है। आदिवासी समुदाय गोरम गैशिरी से पूजा अर्चना शुरू कर एवं उसे याद कर अपने सभी कामों को करने से आज भी सारे काम आसानी से पूरे होते हैं। किन्तु बहुत सारे गाँव में इस इष्टदेव के लिए कोई जगह आदि चिन्हित नहीं होने के कारण सिर्फ वोंगा बुरु (पूजा अर्चना) में ही इसका उच्चारण हो रहा है, जो उचित तो नहीं ठहराया जा सकता पर हमें इसके लिए स्थान निर्धारित कर गोरम गैशिरी के नाम पर पत्थरगडी आदि कर अपने इष्टदेव को खुश रख सकते हैं । और यह काम हो समाज को यथाशीघ्र शुरू कर देना चाहिए। किसी भी गाँव की उत्पति या स्थान में रहने का काम इन्ही के पहले कदम से शुरू हुआ था, इन्हीने गाँव में काम काज के लिए पहला कुदाल (या उस समय जो भी औजार थे) चलाया था।
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