पहले सभी तरह के जानवर जंगली ही थे। लेकिन जब मनुष्य खेती बारी के जमीन में प्रवेश किया तो अ:वोंगा वीर वोंगा ने जंगली गाय बैलों को नियंत्रित कर पालतू पशु बनाया। आदिवासी समाज सिर्फ व्यक्तियों से नहीं बनता बल्कि उसमें गाय बैल, भेड़ बकरी, मुर्गा, बत्तक, के साथ जल, जंगल और जमीन भी है। गोवाँ वोंगा हो समाज में मगे पर्व के गुरि पोरोव के दिन, गौमारा के दिन गोट वोंगा तथा हेरो: पोरोव में बैलों की सुख समृद्दी की पूजा उपासना होती है। ऐसा करने से घर के जीव जंतुओं पर जंगली जानवरों का कोई खतरा नहीं रहता है। गोवाँ का उचित जते पर्ची का नियमित रूप से साल में एक बार पूजा अर्चना करने मात्र से ही एक शाकाहारी की रक्षा शेर, बाघ, तेंदुए, सियार, लोमड़ी, व गीदड़ जैसे अन्य मांसाहारी पशुओं से होती है। जब यह गोवाँ वोंगा की शक्ति जयरा शक्ति के साथ मिल जाती है तो पूरी तरह से संहारकर्ता के रूप में बदल जाती है।
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