मरंग दुनुब (पारंपरिक महा-ग्राम सभा) की कारवाई

आज सर्वप्रथम ग्राम दियुरी द्वारा सभा में आने वाले लोगों के कुशलता के लिए एवं सभा की सफलता के लिए पूजा अर्चना रासी(सोमरस) अर्पण कर किया। तत्पश्चात तीन मानकी का चयन के लिए सभा की अध्यक्षता श्री साधो पूर्ति ने किया। क्षेत्र के मुंडाओं ने श्री शिव चरण पड़या, मानकी चढाई पीढ़, श्री धनुर्जय सिंकू, मानकी बढ़ पीढ़, तथा श्री लादुरा कलुन्दिया, मानकी थाई पीढ़ को तीन मानकी के रूप में चयनित किया गया। तीनों मानकियों ने पद की गरिमा एवं गोपनीयता की शपथ के साथ आदिवासी हो समाज के दस्तूर तीन मानकी के तहत क्षेत्र की इस समस्या को सुलझाने के लिए प्रक्रिया शुरू की। विभिन्न गाँव के मुंडा अपने साथ ५-५ रैयतों के साथ मंच के लिए बढे। उन्होंने सर्वप्रथम आदिवासी रीति दस्तूर के तहत पवित्र 'ससन दीरी' में हाथ रख कर शपथ लिया की जो कहेंगे सच कहेंगे..और साथ ही जो व्यक्ति हमें अपने जमीन से विस्थापित करेगा उसे श्राप दिया गया। मुंडाओं ने तीन मानकियों के पास ग्राम सभा के निर्णय की कोपी सौंपी और उस निर्णय के अलोक में ५ रैयतों ने गवाही दी। इस तरह पूरे डैम क्षेत्र के गावों के ग्रामसभाओं के निर्णय एवं गवाहों के बयान दर्ज हुए। तत्पश्चात तीन मानकियों ने परंपरा एवं दस्तूरों के अनुसार अपना निर्णय दिया। उन्होंने निर्णय में कहा की सभी ग्राम सभाओं ने डैम के विरोध में अपना निर्णय दिया है और गवाहों के बयान ग्रामसभाओं के निर्णय से मेल खाते हैं। चूँकि आदिवासी जमीन के बिना नहीं जी सकता, इसी में उनकी धर्म, संस्कृति एवं पहचान है और अपने दस्तूरों को समाज के साथ मिल कर पूरा करता आ रहा है और अपना सामाजिक अस्तित्व बचाय हुए है, ऐसे में आदिवासी विस्थापित होकर संहार की स्थिति में होंगे। अत: डैम के लिए जमीन नहीं दी जाएगी।
तत्पश्चात मरंग दुनुब की करवाई समाप्त हुई और आम सभा शुरू हुआ। आमसभा में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने तीन मानकी के फैसले को आगे ले जाने की बात कही और उपस्थित मंत्री आदिवासी कल्याण, झारखण्ड सरकार श्री चम्पई सोरेन ने कहा की डैम नहीं बनेगा। कोई विस्थापित नहीं होगा। इसके बदले गाँव- गाँव ने लिफ्ट इरिगेशन से सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी, मॉडल स्कूल खोले जायेंगे, क्षेत्र में विकास का मॉडल अपने तरीके से करने के लिए सुझाव देने की भी उन्होंने राय दी। उपस्थित सामाजिक संगठनों में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा, आदिवासी हो समाज महासभा, मानकी मुंडा संघ, कोल्हान रक्षा संघ, इचा कद्कई बांध विरोधी संघ आदि प्रमुख रूप से थे।

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