प्रत्येक गावों में एक या इससे अधिक गुरु डीप या गुरु अखाडा होता है। जिसमे गाँव के ही अध्यात्मिक गुरुओं द्वारा चेलों (शिष्यों)को अध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है जो अपने आप में एक विशेष पहचान व स्थान रखता है। वर्तमान परिवेश में लगभग लुप्त होता जा रहा है। गुरु अपने अखाड़े में विभिन्न प्राकृतिक देवी देवताओं को आह्वान कर उनसे प्राप्त शक्तियों से चेलों को अवगत करते हैं और उन्हें भी आदिवासी समाज के रीती दस्तूरों के बारे जानकारी देते हुए हो समाज के दस्तूरों को पालन करने की सलाह देते हैं। आदिकाल में गुरु अखाडा ही समाज के लोगों को समाज के बर्तमान एवं भविष्य के बारे जानकारी देने के लिए अखाडा होता था। वहीँ पर युवा वर्ग को हो समाज के समाज की शिक्षा दी जाती थी। शाम को कोई भी अन्य बातें भी इसी अखाड़े के इर्द गिर्द हो जाती थी। आज यह अखाड़े लुप्तप्राय हो गए हैं और यहीं से हो समाज के संस्कार भी समाप्त होने लगे। हो समाज के संस्कारों के बारे बात करने का कोई स्थान नहीं रहने के कारण आज हो समाज या अन्य आदिवासी समाज के युवाओं में संस्कारों में गिरावट देखने को मिल रहा है।
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