आदिवासी घड़ी, सिर्फ घड़ी नहीं है वरन आदिवासी पहचान भी है



आदिवासियों ने समय की दिशा को बदल दिया है, अब तक दुनिया में घड़ियाँ दिकुओं के अनुसार बाएं से दायें चलती रही चूँकि आदिवासियों ने इस पर कभी चिंतन मनन नहीं किया था. अब हमने कर लिया है. अब हमें पता चल गया है की यह घड़ियाँ उलटी दिशा में चल रही है, क्योंकि अब हम जान चुके हैं कि जब -
हम आदिवासी :-
१. नाचते हैं तो दाहिने से बाएं घूमते हैं,
२. हल चलाते हैं तो दाहिने से बाएं चलाते हैं.
प्रकृति में :
१. पौधों की लताएँ भी दाहिने से बाएं ही घुमती है,
२. पानी में भंवर भी दाहिने से बाएं ही घूमता है,
३. प्रकृति की हर घटना दाहिने से बाएं ही होती है जो जीवों के कल्याण के लिए होता है।
धर्म अनुष्ठान में :
१. हम आदिवासी सभी पूजा पाट में दाहिने से बाएं ही अर्पण करते हैं,
२. धर्म-दस्तूर का पालन हम दाहिने से बाएं ही करते हैं,
३. जन्म संस्कार, विवाह संस्कार एवं मृत्यु संस्कार में हम आदिवासी दाहिने से बाएं ही घूमते हुए संस्कार को पूरा करते हैं।
ब्रह्माण्ड में :-
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी सहित सभी ग्रह दाहिने से बाएं ही चक्र लगाते हैं।
विज्ञान में :-
सभी इलेक्ट्रोन, प्रोटोन, neotron नयूक्लियास के चारों ओर दाहिने से बाएं ही चक्र लगाते हैं।
सरना धर्म में :-
आदिवासी धर्म 'सरना' के अनुष्ठान दाहिने से बाएं ही होते हैं। चूँकि इसमें सार है।
पृथ्वी में :-
प्रकृति भी अपने Axis में दाहिने से बाएं ही घूमती है। अर्थात प्रकृति भी सरना धर्म का पालन करती है यानि सरना धर्म प्राकृतिक धर्म है। प्रकृति की हर गतिविधि में सार है यानि सरना धर्म है।
प्रकृति के अनुकूल चलने वाली घड़ी ही आदिवासी घड़ी है, और यही सही दिशा भी है।
इतना ही नहीं हेलिकोप्टर एवं हवाई जहाज के पंखे भी दाहिने से बाएं ही घूमते हैं, तभी हेलिकोप्टर हवा में उड़ पाता है, जिस दिन बाएं से दाहिने घुमा दिया जायेगा, हेलिकोप्टर या जहाज उड़ नहीं पायेगा..यह आदिवासी विज्ञान कहता है..यह सिर्फ घडी नहीं है वरन आदिवासी पहचान है, जिसे हर आदिवासी के घरों तक पहुँचाना है...दुनिया के हर आदमी तक पहुँचाना है..तभी दुनिया का समय ठीक चलेगा, और प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सकेगा..


Comments

Richa Ojha said…
Very nice. Its good to see that community is making every possible effort to save the culture. Impressed!