२८ नवम्बर को प्रतिनिधि सभा ने आदिवासी हो' होने के लिए मुनु दस्तूर यानि आदिम विशिष्टता एवं हो समाज की संस्कृति को आधार बनाने का निर्णय लिया। यानि इन दो विशेषताओं के नहीं होने पर उसे हो' समाज का नहीं माना जाय। इसी तरह अंतरजातीय विवाह को सामाजिक रूप से समाज के खिलाफ एवं समाज को प्रदूषित करने वाला समझा एवं माना गया। ओंग को समाज का धार्मिक प्रतीक चिन्ह के रूप में सभी को अपनाने का निर्णय लिया गया और वारंग्क्षिती एवं हो भाषा के विकास के लिए हो भाषा की पुस्तकों को प्रत्येक घर में आवश्यक रूप से रखने पर सहमती बनी। विलकिंसन रुल को हो समाज की सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ कहा गया, इत्यादि काफी अच्छे प्रस्ताव पारित हुए।
दूसरे दिन नए कार्यकारिणी का गठन एवं आमसभा में झारखण्ड के मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया गया था। पूर्व विधायक देवेन्द्र नाथ चम्पिया, पूर्व संसद बागुन सुम्ब्रुई, पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, गैर हो (कमर) जोन मीरन मुंडा, आदि ने एक दिन पहले SDO को चिट्टी देते हैं की महाधिवेशन को रद्द किया जाय, क्योंकि बर्तमान कमिटी फर्जी है। किन्तु SDO ने उनके सभी बेमानी तर्कों को नकार दिया और महाधिवेशन में कोई अड़चन न हो इसलिए फ़ोर्स उपलब्द करा दिया। २९ तारीख को जोन मीरन मुंडा(गैर हो) के नेतृत्व में उपरोख्त नेतागण महाधिवेशन स्थल में आ पहुंचे और होसमाज महासभा के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे। महासभा के लोगों ने समझाया की आप भी प्रतिनिधि बनकर अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन वे बिलकुल नहीं माने। उलटे महासभा की भर्त्सना करने लगे। जब राजनितिक नेता एवं गुंडा प्रवृति के जोन मीरन ने हो समाज की बुराई जारी रखी तो समाज के लोग समाज की रक्षा में उट खड़े हुए और उन्हें धक्का देकर निकालने पर मजबूर हुए। औरतों ने बागुन सुम्ब्रुई को कुछ लातें एवं थप्पड़ रसीद की और उन सभी को महाधिवेशन स्थल से धक्का देकर निकाल कर खेत में पहुँचाया गया। देवेन्द्र नाथ चम्पिया को लोग पीछा किये और वे घरों के वीच पतली गली से भाग निकले। उसी के बाद झारखण्ड के मुख्यमंत्री पहुंचे और हो समाज के लिए १ करोड़ का भवन, हो भाषा वारंग्क्षिती का शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र, हो भाषा परिषद् का गठन, आदि की घोषणा की। उनके जाने के बाद प्रतिनिधि सभा ने सर्वसहमति से श्री मधु सुदन मरला को अगले अध्यक्ष के रूप में चयन किया.
दूसरे दिन नए कार्यकारिणी का गठन एवं आमसभा में झारखण्ड के मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया गया था। पूर्व विधायक देवेन्द्र नाथ चम्पिया, पूर्व संसद बागुन सुम्ब्रुई, पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, गैर हो (कमर) जोन मीरन मुंडा, आदि ने एक दिन पहले SDO को चिट्टी देते हैं की महाधिवेशन को रद्द किया जाय, क्योंकि बर्तमान कमिटी फर्जी है। किन्तु SDO ने उनके सभी बेमानी तर्कों को नकार दिया और महाधिवेशन में कोई अड़चन न हो इसलिए फ़ोर्स उपलब्द करा दिया। २९ तारीख को जोन मीरन मुंडा(गैर हो) के नेतृत्व में उपरोख्त नेतागण महाधिवेशन स्थल में आ पहुंचे और होसमाज महासभा के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे। महासभा के लोगों ने समझाया की आप भी प्रतिनिधि बनकर अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन वे बिलकुल नहीं माने। उलटे महासभा की भर्त्सना करने लगे। जब राजनितिक नेता एवं गुंडा प्रवृति के जोन मीरन ने हो समाज की बुराई जारी रखी तो समाज के लोग समाज की रक्षा में उट खड़े हुए और उन्हें धक्का देकर निकालने पर मजबूर हुए। औरतों ने बागुन सुम्ब्रुई को कुछ लातें एवं थप्पड़ रसीद की और उन सभी को महाधिवेशन स्थल से धक्का देकर निकाल कर खेत में पहुँचाया गया। देवेन्द्र नाथ चम्पिया को लोग पीछा किये और वे घरों के वीच पतली गली से भाग निकले। उसी के बाद झारखण्ड के मुख्यमंत्री पहुंचे और हो समाज के लिए १ करोड़ का भवन, हो भाषा वारंग्क्षिती का शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र, हो भाषा परिषद् का गठन, आदि की घोषणा की। उनके जाने के बाद प्रतिनिधि सभा ने सर्वसहमति से श्री मधु सुदन मरला को अगले अध्यक्ष के रूप में चयन किया.
Comments