विषय : हो हुदा सरना दोरोम ओंड़ो बोंगा बुरु को॥
१.सरना = सारेना (सरना)। दोरोम = दोहम। ओकोन मनातिंग रे सारन (सार + ना) पे मेना एनागे सारना। न बरसिंग बोलचाल रे सरना बू मेता। सार होने की शक्ति को सरना की बुनियाद माना गया। सार होने की असीम शक्ति प्रकृति में है। अपने डर को दूर करने एवं भविष्य को ठीक बनाने के लिए हम हो आदिवासी दोहम करते हैं और वही आज के परिदृश्य में दोरोम है। दोरोम की उत्पति आधुनिक युग की देन है। सर्जोम दरुको जुम्बह रेगे बोंगा बुरुकोबू सेबा सदा ताना।
२ - दोष्तुर = (दोष +तुर) - जोनोम दोष्तुर - ९ दिन रे नरता(बूटी गसर ची होना: विशी पर्ची तेया:), २१ दिन रे एक्सिया(इंगा होमोह पुयुर - चाटु चोंदा ओंड़ो सीटिय नुतुम तेया: तुपु नाम )। नरता वेगैर होन अदिंग, ससन, वोंगा तयेद काबू दोर्शिनिया। ओंड़ो एक्सिया वेगैर एंगा वोंगा तयेद काबू दोर्शिनिया. होन ओवा रचा आगू की रे सर/दात्रोम सिदुबेयाबू। ओंड़ो विशी पर्ची होबायण बाद अदिंग ओवा कोयों अदिरियाबू .
आंदी दोस्तुर - कोवा ओवा रेगे आंदी दो होबा दईया। बमे दो कए बोंगा दई या। अदिंग ओवा दोबू हेबे अदेर किना।
गोनोए दोष्तुर - तोपा(कटा चम्ब्रा, कटा कन्दुवा - बोड़ो)। अनुष्ठान - १ - ओड़ा सुनुम, २- बाबा तेला, ३- तिकिली, ४- सात दौ बियुर, ५- अदिंग रे उम्बुल क्या अदेर, ६- दिरी ससन तेन(माल)
उरूब - अस्वाभाविक मौत, एक्सिडेंट, टेर गोए, कुला हब गोए आदि।
आदिवासी हो की पहचान -
उपरोक्त विशिष्टता को मानने एवं समझने वाले को ही हो आदिवासी माना एवं समझा जायेगा।
अंतर्जातिये विवाह :
आदिवासी हो समाज की महिलाओं के द्वारा गैर आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा विवाह करने से - १- आदिवासी हो समाज के चल अचल सम्पति का हस्तांतरण धड़ल्ले से बिना रोक टोक के किया जा रहा है। २- दूसरे समुदाय(गैर आदिवासियों) के द्वारा आदिवासियों को प्रदत्त आरक्षण की सुविधाएँ ली जा रही है। ३- महिलाओं को गैर आदिवासी समाज में सम्मान नहीं दिया जा रहा है। अत: आदिवासी हो समाज महासभा के केन्द्रीय समिति को निवेदन किया जाता है की अंतरजातीय महिला विवाह का विरोध करें। इस तरह के विवाह के पश्चात गैर आदिवासी से विवाहिता महिला को सारी आदिवासी सुविधा बंद करने हेतु सरकार से करवाई करने का निवेदन किया जाय, प्रतिबन्ध लगाया जाय।
आदिवासी हो समाज की महिलाओं को सामूहिक और अंतरजातीय विवाह के लिए सरकार के द्वारा प्रेरित और प्रोत्साहित नहीं किया जाय। इससे हो समाज की पारंपरिक व्यवस्था प्रदूषित होता है।
हो समाज के युवकों के द्वारा अन्य समाज के (गैर आदिवासी) के महिलाओं के साथ विवाह करने पर अन्य समाज की महिलाओं के द्वारा हो समाज के रीती रिवाज, परंपरा, संस्कार से अवगत नहीं होने के कारण समाज का वह परिवार/पीढ़ी गुमराह हो जाता है। समाज प्रदूषित हो जाता है और सम्पूर्ण समाज पर कुप्रभाव पड़ता है। अत:
१- हो समाज के युवकों के द्वारा गैर आदिवासी समाज के महिलाओं के साथ विवाह करने पर वैसे व्यक्ति को किसी भी सामाजिक संगठन में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाना चाहिय। २- किसी गाँव के मुंडा या मानकी के द्वारा गैर आदिवासी महिला से विवाह करने पर उस व्यक्ति विशेष को मुंडा/मानकी बनने के अधिकार से वंचित कर दिया जाना चाहिय। ३- समाज में प्रचलित पारंपरिक व्यवस्था के विरुद्ध व्याही गई गैर आदिवासी महिला को अदिंग में प्रवेश जीवन पर्यंत वर्जित रहेगा। पारंपरिक पूजा अर्चना का अधिकार नहीं दिया जायेगा।
विलकिंसन रुल (मानकी मुंडा प्रथा):
१- कोल्हान अधीक्षक को सम्पूर्ण कार्य एवं अधिकार दिया जाय।
२- कोल्हान अधीक्षक पद पर कोल्हान के दस्तूर (प्रथा) को जानने वाले पदाधिकारी पदस्थापित हो।
३- मानकी मुंडा के हुकूक्नमा के सभी नियमों को अक्षरस: लागू किया जाय।
४- मानकी मुंडा को पीढ स्तरीय सरकार की ओर से विलकिंसन रुल को सही तरीके से सञ्चालन करने के लिए प्रशासकिये प्रशिक्षण दिया जाय।
५- मानकी मुंडा के हुकूक्नमा में उल्लेखित कार्य एवं दायित्वों को प्रत्येक गाँव एवं प्रखंड में होर्डिंग लगाकर लोगों को जानकारी दी जाय।
६- कोल्हान कोर्ट में दर्ज मामलों को तीन मानकी का बोर्ड गठन कर अतिशीघ्र निष्पादन किया जाय।
७- विलकिंसन रुल पर जगह-जगह कार्यशाला आयोजित होना चाहिय।
८- विलकिंसन रुल सम्बन्धी स्कूल एवं कोलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय।
९- कोल्हान में विकास को सही दिशा देने के लिए कोल्हान फंड अविलम्ब स्वीकृत कर कोल्हान अधीक्षक को सुपुर्द किया जाय।
१०- मानकी मुंडाओं के लिए कार्यालय भवन अतिशीघ्र निर्माण किया जाय।
११- कोल्हान डाक बंगला को मानकी मुंडा को सुपुर्द किया जाय।
विषय : हो भाषा एवं वारंक्षिती लिपि
१- महासभा की ओर से ओंग को हो लोगों के प्रतीक चिन्ह के रूप में व्यापक कार्ययोजना के साथ पहुँचाया जाय।
२- अपने-अपने घरों में हो भाषा में ही बातचीत को प्रोत्साहित किया जाय।
३- हो भाषा के पुस्तक/पत्रिका को प्रत्येक घरों की लाईब्रेरी में जरूर संग्रह करें।
४- प्रत्येक गाँव में वारंग्क्षिती लिपि को पढने के लिए व्यवस्था किया जाय। स्कूल या बने स्कूलों में वारंक्षिती में पढ़ाई करना एवं पढ़ाई करवाना।
१.सरना = सारेना (सरना)। दोरोम = दोहम। ओकोन मनातिंग रे सारन (सार + ना) पे मेना एनागे सारना। न बरसिंग बोलचाल रे सरना बू मेता। सार होने की शक्ति को सरना की बुनियाद माना गया। सार होने की असीम शक्ति प्रकृति में है। अपने डर को दूर करने एवं भविष्य को ठीक बनाने के लिए हम हो आदिवासी दोहम करते हैं और वही आज के परिदृश्य में दोरोम है। दोरोम की उत्पति आधुनिक युग की देन है। सर्जोम दरुको जुम्बह रेगे बोंगा बुरुकोबू सेबा सदा ताना।
२ - दोष्तुर = (दोष +तुर) - जोनोम दोष्तुर - ९ दिन रे नरता(बूटी गसर ची होना: विशी पर्ची तेया:), २१ दिन रे एक्सिया(इंगा होमोह पुयुर - चाटु चोंदा ओंड़ो सीटिय नुतुम तेया: तुपु नाम )। नरता वेगैर होन अदिंग, ससन, वोंगा तयेद काबू दोर्शिनिया। ओंड़ो एक्सिया वेगैर एंगा वोंगा तयेद काबू दोर्शिनिया. होन ओवा रचा आगू की रे सर/दात्रोम सिदुबेयाबू। ओंड़ो विशी पर्ची होबायण बाद अदिंग ओवा कोयों अदिरियाबू .
आंदी दोस्तुर - कोवा ओवा रेगे आंदी दो होबा दईया। बमे दो कए बोंगा दई या। अदिंग ओवा दोबू हेबे अदेर किना।
गोनोए दोष्तुर - तोपा(कटा चम्ब्रा, कटा कन्दुवा - बोड़ो)। अनुष्ठान - १ - ओड़ा सुनुम, २- बाबा तेला, ३- तिकिली, ४- सात दौ बियुर, ५- अदिंग रे उम्बुल क्या अदेर, ६- दिरी ससन तेन(माल)
उरूब - अस्वाभाविक मौत, एक्सिडेंट, टेर गोए, कुला हब गोए आदि।
आदिवासी हो की पहचान -
१- आदिम विशिष्टता (मुनु दोस्तुर) - मुख्यत: तीन संस्कार को मानना - जोनोम संस्कार, विवाह संस्कार, एवं मृत्यु संस्कार, जैसा की पहले निर्णय में लिया गया है।
२- भिन्न संस्कृति - पोरोब पोनई, जोम नू, पारंपरिक परिधान, लोकगीत, लोकनृत्य, लोक कला (एनेतो), हमारी भाषा (हयम), रहन सहन के आदिवासी तौर तरीके, सामाजिक व्यवस्था(मानकी मुंडा व्यवस्था), रूढ़ियाँ(मनातिंग), रीती रिवाज(दोस्तुर), सामूहिकता(मिड केनेते पईटी तेया जुडी गति), सहयोग एवं समानता की भावना(देंगा देपेंगा), धार्मिक एवं अध्यात्मिक आस्थाएं(बोंगा बुरु मनातिंग), अपनी भूमि से अटूट सम्बन्ध - ओते हासा/ खूंट कट्टी।उपरोक्त विशिष्टता को मानने एवं समझने वाले को ही हो आदिवासी माना एवं समझा जायेगा।
अंतर्जातिये विवाह :
आदिवासी हो समाज की महिलाओं के द्वारा गैर आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा विवाह करने से - १- आदिवासी हो समाज के चल अचल सम्पति का हस्तांतरण धड़ल्ले से बिना रोक टोक के किया जा रहा है। २- दूसरे समुदाय(गैर आदिवासियों) के द्वारा आदिवासियों को प्रदत्त आरक्षण की सुविधाएँ ली जा रही है। ३- महिलाओं को गैर आदिवासी समाज में सम्मान नहीं दिया जा रहा है। अत: आदिवासी हो समाज महासभा के केन्द्रीय समिति को निवेदन किया जाता है की अंतरजातीय महिला विवाह का विरोध करें। इस तरह के विवाह के पश्चात गैर आदिवासी से विवाहिता महिला को सारी आदिवासी सुविधा बंद करने हेतु सरकार से करवाई करने का निवेदन किया जाय, प्रतिबन्ध लगाया जाय।
आदिवासी हो समाज की महिलाओं को सामूहिक और अंतरजातीय विवाह के लिए सरकार के द्वारा प्रेरित और प्रोत्साहित नहीं किया जाय। इससे हो समाज की पारंपरिक व्यवस्था प्रदूषित होता है।
हो समाज के युवकों के द्वारा अन्य समाज के (गैर आदिवासी) के महिलाओं के साथ विवाह करने पर अन्य समाज की महिलाओं के द्वारा हो समाज के रीती रिवाज, परंपरा, संस्कार से अवगत नहीं होने के कारण समाज का वह परिवार/पीढ़ी गुमराह हो जाता है। समाज प्रदूषित हो जाता है और सम्पूर्ण समाज पर कुप्रभाव पड़ता है। अत:
१- हो समाज के युवकों के द्वारा गैर आदिवासी समाज के महिलाओं के साथ विवाह करने पर वैसे व्यक्ति को किसी भी सामाजिक संगठन में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाना चाहिय। २- किसी गाँव के मुंडा या मानकी के द्वारा गैर आदिवासी महिला से विवाह करने पर उस व्यक्ति विशेष को मुंडा/मानकी बनने के अधिकार से वंचित कर दिया जाना चाहिय। ३- समाज में प्रचलित पारंपरिक व्यवस्था के विरुद्ध व्याही गई गैर आदिवासी महिला को अदिंग में प्रवेश जीवन पर्यंत वर्जित रहेगा। पारंपरिक पूजा अर्चना का अधिकार नहीं दिया जायेगा।
विलकिंसन रुल (मानकी मुंडा प्रथा):
१- कोल्हान अधीक्षक को सम्पूर्ण कार्य एवं अधिकार दिया जाय।
२- कोल्हान अधीक्षक पद पर कोल्हान के दस्तूर (प्रथा) को जानने वाले पदाधिकारी पदस्थापित हो।
३- मानकी मुंडा के हुकूक्नमा के सभी नियमों को अक्षरस: लागू किया जाय।
४- मानकी मुंडा को पीढ स्तरीय सरकार की ओर से विलकिंसन रुल को सही तरीके से सञ्चालन करने के लिए प्रशासकिये प्रशिक्षण दिया जाय।
५- मानकी मुंडा के हुकूक्नमा में उल्लेखित कार्य एवं दायित्वों को प्रत्येक गाँव एवं प्रखंड में होर्डिंग लगाकर लोगों को जानकारी दी जाय।
६- कोल्हान कोर्ट में दर्ज मामलों को तीन मानकी का बोर्ड गठन कर अतिशीघ्र निष्पादन किया जाय।
७- विलकिंसन रुल पर जगह-जगह कार्यशाला आयोजित होना चाहिय।
८- विलकिंसन रुल सम्बन्धी स्कूल एवं कोलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय।
९- कोल्हान में विकास को सही दिशा देने के लिए कोल्हान फंड अविलम्ब स्वीकृत कर कोल्हान अधीक्षक को सुपुर्द किया जाय।
१०- मानकी मुंडाओं के लिए कार्यालय भवन अतिशीघ्र निर्माण किया जाय।
११- कोल्हान डाक बंगला को मानकी मुंडा को सुपुर्द किया जाय।
विषय : हो भाषा एवं वारंक्षिती लिपि
१- महासभा की ओर से ओंग को हो लोगों के प्रतीक चिन्ह के रूप में व्यापक कार्ययोजना के साथ पहुँचाया जाय।
२- अपने-अपने घरों में हो भाषा में ही बातचीत को प्रोत्साहित किया जाय।
३- हो भाषा के पुस्तक/पत्रिका को प्रत्येक घरों की लाईब्रेरी में जरूर संग्रह करें।
४- प्रत्येक गाँव में वारंग्क्षिती लिपि को पढने के लिए व्यवस्था किया जाय। स्कूल या बने स्कूलों में वारंक्षिती में पढ़ाई करना एवं पढ़ाई करवाना।
Comments