सरना धर्म कोड महारैल्ली की महत्वपूर्ण मांगें

१-भारत के जनगणना कोलम में सरना धर्म कोड लागू करो एवं आदिवासी रीती रिवाजों को नियमबद्द करवाया जाय तथा सरना न्यास बोर्ड का गठन किया जाय।
२- भारत के संविधान में निहित अनुच्छेद १९(५) में आदिवासियों एवन साधारण जनता के हितों की सुरक्षा के लिए दोमेसाईल है, अर्थात जिन राज्यों में ५वि अनुसूची के प्रावधान तथा क्षेत्रीय कानून CNT Act, SPT Act, wilkinson rule जैसे कानून लागू हैं उन क्षेत्रों में राज्य से बाहर के लोगों को स्वतंत्र रूप से विचरण एवं आवास तथा सम्पति के अर्जन व निपटान करने के अधिकार की गारंटी पर पाबन्दी है, पर राज्य सरकार सरकारी आदेश निर्गत कर इन कानूनों का अवहेलना कर रही है, इसे तत्काल बंद कर दिया जाय।
३- आदिवासी मूलनिवानियों को खनिज सम्पदा आदिवासी - समता जजमेंट..
४- पूर्व में विस्थापित आदिवासी एवं मूलनिवासियों का पुनर्वास नीति अभी ठन्डे बसते में पड़ी है इसको शक्ति से लागु किया जाय॥
५- भू हस्तांतरण पर प्रतिबन्ध किया जाय-सी.एन.टी.एक्ट एवं एस.पी.टी.एक्ट के प्रावधानों को शक्ति से लागु किया जाय एवं ५वि अनुसूची के ५(२) में विनियम बना कर समता फैसले को लागु कर अवैध तरीके से हडपी गई जमीन को न्याय्धिकरण का गठन कर वापस किया जाय।
६- आदिवासियों के लिए केन्द्रीय विकास नीति बनाया जाय- आदिवासी विकास की कोई केन्द्रीय नीति नहीं बनी है। विकास के लिए दी गई धनराशी की राज्य सरकारों के बजट में न अलग शीर्ष है और न आदिवासी विभाग ही॥
७- भू सर्वेक्षण करवाना - केन्द्रीय ग्रामीण मंत्रालय द्वारा १९८८ से निर्धारित प्रति ५ वर्ष बाद आदिवासी भू-सर्वेक्षण करवाया जाय ताकि आदिवासियों के भू-स्वामित्व के बारे सही सुचना मिल सके। कर्जे के कारण आदिवासी भूमि पर गैर आदिवासियों का कब्ज़ा है।
८- नौकरियों में कोटा पूरा किया जाय - सरकारी व सार्वजानिक क्षेत्र में नौकरियों के बारे में अभी तक कोई उत्तरदाईत्व पूर्ण नीति नहीं बनाई गई है जिससे अनुसूचित जाती एवं जनजातियों के करीब ५० % पद प्रथम, द्वित्य, एवं त्रितय श्रेणी में रिक्त पड़े हैं॥
९- आम आदमी को पुलिस की परेशानी से बचाने के लिए परंपरागत स्वशासन संस्थाओं/अदालतों को तीन साल तक की सजा वाले क्रिमिनल व सिविल मामलों की प्राथमिकी रिपोर्ट दराज करने तथा फैसले करने का अधिकार दिया जाय।
१०- कृषि व लघु वन उपज का समर्थन मूल्य के लिए सरकारी नीति बनाया जाय।
११- गरीबी रेखा के निचे वाले आदिवासियों एवं मूलवासियों को कृषि, सिंचाई व विद्युतीकरण सम्बन्धी मुफ्त सुविधाएँ सर्कार द्वारा पंचायतों के माध्यम से दी जाय॥
१२- भारतीय संविधान के ८वि अनुसूची में सभी जनजातीय भाषा को मान्यता दी जाय एवं प्रत्येक आदिवासी बहुल गाँव में प्रईमारी स्कूल की शिक्षा स्थानीय जनजातीय भाषा में दी जाय॥
१३- संविधानिक, सामाजिक, आर्थिक व राजनितिक न्याय की गारंटियों पर प्रभारी अमल किया जाय॥
१४- केंद्रीय जनजातियों के मंत्रालय को प्रभाव शील बनाया जाय। जनजाति विकास के लिय सर्कार ने अलग से मंत्रालय १९९९ में बनाया है, धरातल में काम करने के लिए केन्द्रीय विकास नीति बनाया जाय॥
आदि..

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