भारत की जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल किया जायगा. केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्यवय समिति को यह भरोसा दिलाया। अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्यवय समिति के शिष्टमंडल को केंद्रीय गृह मंत्री ने उक्त आश्वासन दिया। शिष्टमंडल ने केन्द्रीय गृह मंत्री को बताया की आजादी के पहले सरना कोड जनगणना में शामिल था। बाद में इसे हटा दिया गया। सरना धर्मावलम्बी प्रकृति पूजक हैं। झारखण्ड में इनकी सबसे ज्यादा आबादी है। इसके अलावे Chattisgrah ओड़िसा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी इसे मानने वाले लाखों लोग हैं। पूरे देश में आदिवासियों की जनसँख्या दस करोड़ है, जिसमे सरना धर्मोवलाम्बियों की संख्या बहुत बड़ी है। जनगणना के कोलम में सरना धर्म को शामिल करने से इस समुदाय का तेजी से विकास होगा और ये आधुनिक युग में आगे बढ़ सकेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने भरोसा दिलाया की आवश्यक कारवाही पूरा कराकर वे इस दिशा में सकारात्मक पहल करेंगे। सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने बताया की केन्द्रीय गृह मंत्री के साथ बातचीत संतोष जनक रही।
समिति की दूसरी मांग की हो, मुंडा, कुडुक, एवं गोंडी को आठवी अनुसूची में शामिल किया जाय. इस पर भी उन्होंने अपनी सहमती दी.
तीसरी मांग की अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के अलोक में लोक प्रशासन की व्यवस्था को शक्ति से लागु किया जाय, हमारी ओर से यह बात रखी गई की अनुसूचित क्षेत्रों में हम आदिवासियों को संविधान के अलोक में सुरक्षा नहीं मिल रही है, इस पर उन्होंने कहा की मैं(गृह मंत्री) चार राज्यों के राज्यपालों को चिट्टी लिखूंगा। इस पर समन्वय समिति ने कहा की चार राज्य नहीं अनुसूचित क्षेत्र ९ राज्यों में है। फिर उन्होंने कहा की मैं ९ राज्यों के राज्यपालों को चिट्ठी लिखूंगा। मांग पत्र सौंपे जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने त्वरित करवाई करते हुए झारखण्ड राज्य के राज्यपाल को फैक्स सूचना द्वारा निर्देश दिया की आदिवासी प्रतिमंडल की मांग के अनुरूप झारखण्ड राज्य में पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के अनुपालन में हो रही कमी की जाँच करके प्रावधानों के अविलम्ब अनुपालन की व्यवस्था की जाय। इस निर्देशानुसार झारखण्ड राज्य के राज्यपाल सैयद अहमद ने अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्यवय समिति के सह संयोजक राजकुमार पहन को चाय पर आमंत्रित किया और पांचवी अनुसूची के अनुपालन हेतु विचार विमर्श तथा सलाह के लिए बैठक की तिथि तय करने का निश्चय किया.
समिति की दूसरी मांग की हो, मुंडा, कुडुक, एवं गोंडी को आठवी अनुसूची में शामिल किया जाय. इस पर भी उन्होंने अपनी सहमती दी.
तीसरी मांग की अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची के अलोक में लोक प्रशासन की व्यवस्था को शक्ति से लागु किया जाय, हमारी ओर से यह बात रखी गई की अनुसूचित क्षेत्रों में हम आदिवासियों को संविधान के अलोक में सुरक्षा नहीं मिल रही है, इस पर उन्होंने कहा की मैं(गृह मंत्री) चार राज्यों के राज्यपालों को चिट्टी लिखूंगा। इस पर समन्वय समिति ने कहा की चार राज्य नहीं अनुसूचित क्षेत्र ९ राज्यों में है। फिर उन्होंने कहा की मैं ९ राज्यों के राज्यपालों को चिट्ठी लिखूंगा। मांग पत्र सौंपे जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने त्वरित करवाई करते हुए झारखण्ड राज्य के राज्यपाल को फैक्स सूचना द्वारा निर्देश दिया की आदिवासी प्रतिमंडल की मांग के अनुरूप झारखण्ड राज्य में पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के अनुपालन में हो रही कमी की जाँच करके प्रावधानों के अविलम्ब अनुपालन की व्यवस्था की जाय। इस निर्देशानुसार झारखण्ड राज्य के राज्यपाल सैयद अहमद ने अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्यवय समिति के सह संयोजक राजकुमार पहन को चाय पर आमंत्रित किया और पांचवी अनुसूची के अनुपालन हेतु विचार विमर्श तथा सलाह के लिए बैठक की तिथि तय करने का निश्चय किया.
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