अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय समिति के द्वारा गृह मंत्री भारत सरकार से वार्ता के बाद गृह मंत्री ने झारखण्ड के राज्यपाल को पांचवी अनुसूची एवं आदिवासी अधिकारों के बारे जानकारी हासिल कर उचित करवाई करने का निर्देश दिया था, उसी के अलोक में अब तक झारखण्ड के राज्यपाल की समन्वय समिति के साथ दो-तीन दौर की बातचीत हो चुकी है और आगामी २० जून को राज्य भर से विभिन्न सामाजिक संगठनों के २०० से ज्यादा प्रतिनिधि राज्यभवन में होने वाले विशेष सेमिनार में आमंत्रित किये गए हैं.
इन विषयों में सेमिनार में चर्चा होगी
१- झारखण्ड राज्य के विकास में जनजातीय समाज की भूमिका
२- पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर जैसे कला, संस्कृति भाषा तथा बौद्दिक सम्पदा एवं उनकी सुरक्षा
३- संविधानिक प्रावधान अंतर्गत पांचवी अनुसूची क्षेत्र एवं अधिकार
४- परम्परागत स्वशासन व्यवस्था और पंचायती व्यवस्था
५- पांचवी अनुसूची क्षेत्र और सरकारी योजना
आदिवासियों के दबाव के कारण आज सरकारों को आदिवासी अधिकारों के बारे सोचना तो पड़ रहा है, लेकिन ये काफी नहीं है, हमें और संगठित प्रयास करना होगा. जो लोग ऑफिस में, घर में, या कहीं अन्य जगहों में बैठ कर आदिवासी अधिकारों में आदिवासियों के लड़ाई को देख रहे हैं, उन्हें घर आंगन से बाहर निकल कर ऐसे आंदोलनों से जुड़ना होगा. अन्यत: सरकार सोचेगी की यह लड़ाई सिर्फ कमजोर वर्गों की लड़ाई है, जो पढ़ लिख गए हैं उनकी नहीं है. अभी आगे हमलोगों के साथ सरकार की कई दौर की वार्ता होनी है, और हमलोग चाहते हैं की वार्ता ठोस हो. इसके लिए बुद्दिजीवियों की भी हमें आवश्यकता होगी. इसीलिए हमें इसके लिए तैयार होना है, ताकि इस बार पिछले ६५ वर्ष की भांति हम आदिवासी फिर न ठगे जाएँ.
मैं उपरोख्त सेमिनार में पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर जैसे कला, संस्कृति भाषा तथा बौद्दिक सम्पदा एवं उनकी सुरक्षा में अपनी बात रख रहा हूँ..
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