महासभा एवं अंतराष्टीय आदिवासी दिवस

अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की और से रीगल मैदान जमशेदपुर में बड़ी रैली आहूत की गई. जिसमे पुरजोर ढंग से पांचवी अनुसूची और सरना कोड को शक्ति से लागू करने पर जोर दिया गया, और यदि सरकार हम आदिवासियों की आवाज को नहीं सुनती है तो आदिवासी जन आन्दोलन खड़ा किया जायेगा और आदिवासी क्षेत्रों से खनिजों को बाहर जाने से पूर्णत: रोक दिया जायेगा. पहली बार जमशेदपुर के लगभग सभी अख़बारों में इस बार प्रिंट मीडिया ने अच्छा कवरेज दिया. बंगाल के संत्रागाछी में इस उपलक्ष्य में राज्य के विभिन्न जिलों से ३२ आदिवासी फूटबोल टीमों को आमंत्रित किया गया था. खास बात यह थी की फूटबाल टीम में सिर्फ आदिवासी खिलाड़ी ही हो सकते थे. और सभी ३२ टीमें जलपाईगुडी से मिदनापुर तक की दिवा रात्रि Flood Light फूटबोल प्रतियोगिता में शामिल हुए. अतिथियों में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के केन्द्रीय पदाधिकारी यानि हमलोग उपस्थित थे. प्रतियोगिताएं देर रात तक दो दिनों तक चली और रात में बीच बीच में आदिवासी गीत संगीत पर नाच गान भी होता रहा. हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और खेल का आनंद लिए. जो भी लोग उपस्थित थे उन्हें पूरे आयोजन भर इतना बार आदिवासी शब्द का उच्चारण हुआ की वहां के स्थानीय दिकु भी पूछते हुए नजर आये की आखिर ये आदिवासी भला क्या चीज है और इतने आदिवासी कहाँ से आ गए. महासभा ने एक सन्देश कि अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस को सर्वमान्य बनाया जाए और इस दिन आज नहीं कल राष्ट्रिय छुट्टी घोषित किया जाए तथा आदिवासी अधिकारों को जो संविधान एवं अन्य कानून की किताबों में दर्ज हैं को शिक्षित, संगठित एवं संघर्ष कर हासिल करने की है. इस दिशा में इस बार का आयोजन काफी सफल रहा. जिस तरह बंगाल में राज्य भर के आदिवासी रात्रि एवं बारिश के बावजूद आदिवासी एकता का परिचय देते हुए मैदान में डटे रहे, इससे यह उम्मीद जगी है कि सरना कोड एवं पांचवी अनुसूची पर महासभा की अगली रणनीति को काफी समर्थन मिलेगा.

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