समता निर्णय में सुप्रीम कोर्ट की कुछ महत्वपूर्ण फैसले

१- प्रत्येक ग्राम सभा अपनी जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने में सक्षम होगी.
२- सरकार भी एक व्यक्ति है और वह आदिवासी नहीं है, इसीलिए पांचवी अनुसूचित वाले क्षेत्रों में सरकार भी आदिवासियों की जमीन नहीं ले सकती है.
३- सरकार पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पड़ने वाली भूमि का खनन के लिए लीज नहीं दे सकती, क्योंकि इससे धारा २४४(१) (पांचवी अनुसूची) का अतिक्रमण होता है. खनन कार्य केवल पब्लिक सेक्टर, या आदिवासी सहकारी समितियों या स्वएं आदिवासी ही कर सकेंगे.
४- खनन कार्य होने पर शुद्द लाभ का कम से कम २०% स्थाई कोष के रूप में सुधार कार्यों के लिए रखा जायेगा. जिसमे दुबारा जंगल लगाना तथा पर्यावरण संतुलन के कार्य शामिल नहीं होगा.
५- पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में लीज का नवीनीकरण अथवा नई लीज को देना अथवा हस्तांतरण की मनाही होगी.
६- खनन लीज का किसी गैर आदिवासी को, कंपनी को, कोर्पोरेशन समूह अथवा साझीदारी फर्म इत्यादि असंवैधानिक, अकार्य साधक व निरर्थक मानी जाएगी. राज्य द्वारा चलाया जाने वाला खनन इसमें शामिल नहीं.

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