India that is Bharat , आखिर क्यों?

१५ अगस्त १९४७ में अंग्रेज भारत को लम्बी गुलामी से आजाद कर इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेताओं को देश की बागडोर सौंपकर स्वदेश ब्रिटेन लौट गए. यह कांग्रेस वही पार्टी थी, जिसकी स्थापना एलेन ओक्टिवियन हियूम, नमक अंग्रेज ने १८८५ में की थी और इसका पहला अधिविशन २८ दिसंबर १८८५ को बॉम्बे में हुआ था. आज की कांग्रेस भी वही पार्टी है. यह मुख्यत: भारतीय आन्दोलनकारियों व अंग्रेजी हुकूमत के बीच मध्यस्तता का काम करती थी. सत्ता सौंपने के साथ अंग्रेज हमें देश विभाजन तथा अंग्रेजी प्रशासनिक व्यवस्था विरासत में दे गए. इसका मतलब, गोरे अंग्रेजों से भारतीय काले अंग्रेजों को सत्ता हस्तांतरण. इसमें शासक बदले, लेकिन अंग्रेजी प्रशासनिक व्यवस्था, कानून तथा राजकाज की भाषा नहीं बदली. चोला बदला, चरित्र नहीं बदला. सत्तादारी बदले, व्यवस्था नहीं बदली. लोक शाही में दलगत सत्ताएं बार-बार बदली, लेकिन अंग्रेजी व्यवस्थाएं-शिक्षा, चिकित्सा, कानून, कर, कृषि व प्रशासनिक- कभी नहीं बदली. अंग्रेजों के ३४,७३५ कानूनों को आजादी के बाद भी देश में आज तक कायम है, जिसने स्वदेशी प्रशासनिक व्यवस्था को नहीं पनपने दिया. गोरे अंग्रेजों की इन विरासती व्यवस्थाओं ने काले अंग्रेजों की नई गुलामी को जन्म दिया, जिसने आम आदमी और देश का शोषण किया. १९६१ में, भारत के प्रथम प्रधान मंत्री, जवाहर लाल नेहरु ने यह बात स्वीकारी थी कि हमारा प्रशासन अब भी औपनिवेशिक प्रशासन है और वे इसमें बदलाव लाने में नाकाम रहे हैं. आजादी के बाद नवोदित राष्ट्र 'India , that is bharat ' कहलाया. यानि इंडिया माने भारत, जिसका मतलब एक राष्ट्र में दो देश- इंडिया व भारत- जो अब स्पष्ट दिखाई देते हैं. इंडिया-पाश्चात्य व्यक्तिवादी संस्कृति व औद्योगिक सम्रीदी पर आधारित २५ प्रतिशत शहरी आबादी वाला देश और भारत-कृषि प्रधान पारंपरिक संस्कृति पर आधारित, गरीबी व कुशासन से जूझता, ७५ प्रतिशत आबादी वाला देश. हमारे गाँव गरीबी व शहर सम्रीदी के पर्याय बन गए हैं. आप देख रहे हैं, की नेताओं में मस्ती लोकप्रियता के लिए शहरों के नाम (मुम्बई, चेन्नई, आदि) बदलने कि होड़ लगी हुई है, लेकिन इन्होने देश के नाम को संविधान के अनुच्छेद १ में 'India , that is bharat ' को बदल कर केवल भारत करने की क्यों नहीं सोची?यह जानकर दुःख होगा कि देश का नाम 'India , that is bharat ' गुलामी काल के अंग्रेजी कानून गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १९३५ से लिया है. आजादी के बाद देश का नाम केवल भारत ही होना चाहिए. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद १ में संशोधन किया जाना चाहिए.

Comments

शैलेन्द्र देवगम said…
...और India, भारत पर हावी होता जा रहा है. हमलोग भी शायद "भारत" कम ही बोलते आ रहे हैं, India ही बोलते हैं. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश है जहाँ देश के इतने सारे नाम रखे गए हों.