सरना कोड नहीं तो वोट नहीं...

सरना कोड नहीं मिलने के कारण 2001 में आदिवासियों को 47 अलग अलग धर्मों में बांटा गया। पिछले 14 अप्रैल 2011 को मोराबादी मैदान रांची में हमने लाखों लोगों की उपस्थिति एवं समर्थन से सरना को अविलम्ब धर्म कोड की मान्यता देने की अपील केंद्र सरकार से की थी। 6 महीने से ज्यादा गुजर गए पर केंद्र सरकार की ओर से कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही है। जबकि इस मामले में तत्कालीन गृह मंत्री से उस समय हमने बात की थी, जिसमे ये बात सरकार की ओर से ही सामने आई थी, की चूंकि जनगणना के महा रजिस्ट्रार के पद में ही कोड आवंटित करने का अधिकार निहित है इसीलिए सिर्फ कैबिनेट में प्रस्ताव आने एवं वहीँ पर इसे पारित कर देने से ही कोड आवंटित हो सकता है। इसे लोकसभा या राज्य सभा में पास करने की जरुरत नहीं है। इस पर भी यदि केंद्र सरकार गंभीर नहीं होती है तो आगामी लोक सभा चुनाव में हम आदिवासी उसे दिल्ली तक नहीं जाने देंगे। सरना कोड नहीं तो वोट नहीं, यही हमारा नारा रहेगा। इस बीच एक चेतावनी रैली रांची में हमें करना है, ताकि सरकार को हम चेतावनी दे सकें। फिर भी यदि बात नहीं बनती है तो हम दिल्ली कूच करने का एलान करेंगे और अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस 9 अगस्त 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के आदिवासी अपनी ताकत दिखायेंगे। अंतर्राज्यी सरना धर्म महा सम्मलेन लोहरदगा में मैंने उपरोक्त बातें कही और लोगों ने तालियों की गड़ गड़ाहट के साथ समर्थन दिया।

Comments