झारखण्ड के आदिवासियों
को census 2001 की जनगणना में 47 अलग-अलग धर्मों में अंकित किया गया।
राज्य के 39.77 प्रतिशत आदिवासियों को हिन्दू तथा 14.46 प्रतिशत आदिवासियों
को इसाई धर्म में सरना धर्म कोड नहीं होने के कारण लिखा गया, सिर्फ 44.28
प्रतिशत आदिवासी ही सरना में अंकित किये गए। 47 धर्मों में १. हिन्दू २. मुस्लिम ३. सिख ४. इसाई, ५. बौध,
६. जैन, ७. आदिवासी, ८. अदि पड़म् /पड़म्, ९. बास्के, १०. भूमिज, ११. बिरसा, १२. बोंगा,
१३. बुरु -बोंगा, १४. दियुरी, १५. गोंड / गोंडी, १६. हो, १७. जहर, १८. खड़िया
/खरिया, १९. खरवार, २०. खेदुअला, २१. महाली, २२. मरंगबुरु, २३. मुंडा, २४. उराँव, २५. पहरिया,
२६. संताल, २७. सारनाथ, २८. सरीधर्मं, २९. सरना, ३०. सरनाम, ३१. सोरेन, ३२. स्वर्ण,
३३. टाना भगत, ३४. Tribal Religion , ३५. बहाई / बहाइस, ३६. पारसी /ज़ोरास्त्रियन,
३७. सादरी, ३८. सनामही, ३९. बिदिन, ४०. मानवता , ४१. संसारी, ४२. सर्वधर्म, ४३. खेखार्हर,
४४. जहेर्थान, ४५. हप्रम, ४६. सनर, ४७. Other religion unclassified हैं।
Religion among Tribes of jharkhand, census 2001 -
Tribe Name Total Population Religion %
All Tribes of jharkhand 70,87,068 hindu 39.77
Christian 14.46
Sarna 44.28
Santhal 24,10,509 Hindu 56.64
Christian 6.29
Sarna 34.69
Oraon 13,90,459 Hindu 16.77
Christian 26.99
Sarna 55.1
Munda 10,49,767 Hindu 17.48
Christian 30.44
Sarna 50.76
Ho 7,44,850 Hindu 6.96
Christian 1.85
Sarna 90.85
Kharia 1,64,850 Hindu 7.79
Christian 67.4
Sarna 22.91
धर्मों
का विखराव संथालों में सबसे ज्यादा है उन्होंने झारखण्ड में 36 अलग अलग
धर्म लिखा 2001 की जनगणना में। संथाल समुदाय के अन्दर बिदिन धर्म वालों की
संख्या 36,410 है जो उनकी जनसँख्या के 1.51% हैं। आंकड़े दर्शाते हैं की
संथाल समाज के 55 प्रतिशत से ज्यादा लोग हिन्दू लिखते हैं, सिर्फ 34.69
प्रतिशत ही सरना लिख रहे हैं। उसी तरह table से स्पष्ट है की धार्मिक
जागरूकता के मामले में हो, मुंडा, और उराँव ही 50 प्रतिशत से ज्यादा सरना
लिख रहे हैं। मैंने इन्हीं आंकड़ों पर लुगुबुरु घंटाबड़ी में speach दिया। और
संथाल समाज को स्पष्ट करते हुए कहा की आप हम आदिवासियों में सबसे बड़ी
संख्या में हैं और आपको आगे बढ़ कर धर्म कोड की लड़ाई में आना चाहिए लेकिन
आपमें ही यदि जागरूकता की कमी के कारण 36 अलग-अलग धर्मों में बिखरे हुए हैं
तो यह अत्यंत ही चिंता की बात है और चिंतन मंथन कर जल्दी से जल्दी इन
विषंगतियों को दूर कर सरना कोड की लड़ाई को अंतिम रूप देने में अपना सारा ध्यान लगा देना चाहिए। मैंने उन्हें आह्वान करते हुए कहा की अब तक सरना धर्म कोड के लिए 2011 से अब तक का प्रयास निम्न प्रकार से रहा है--
27-28 Octuber 2011 - आसीसी (इटली, रोम ) अंतराष्ट्रीय शांति सर्वधर्म सम्मलेन में सरना धर्म को अंतराष्ट्रीय मान्यता प्रतिनिधित्वकर्ता मुकेश बिरुवा।
14 अप्रैल 2012 - मोराबादी मैदान राँची में लाखों आदिवासियों की रैली - अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय समिति के बैनर तले।
20 अप्रैल 2012 - तत्कालीन गृहमंत्री के बुलावे पर देश भर के सरना प्रतिनिधियों से भारत सरकार की वार्ता - अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय समिति के बैनर तले।।
आगामी आयोजन - 23 दिसम्बर 2012 - सरना स्थल कांके (रॉक गार्डन), राँची में देश भर के सरना प्रतिनिधियों के साथ भावी रणनीति।
जनवरी से फरवरी 2013 के बीच छतीसगढ़, उड़ीसा एवं बंगाल में सरना धर्म के लिए महारैलियाँ।
14 अप्रैल 2013 को मोराबादी मैदान रांची में सरना धर्म के लिए महा जुटान।
9 अगस्त 2013, अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस को सरना धर्म कोड के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली।
उपरोक्त
आयोजनों में आपकी भागीदारी अवश्यम्भावी है। यदि हम सबने मिलकर प्रयास किया
को सरना कोड हम लेकर ही रहेंगे। लोगों ने मेरी बातों को ध्यान से सुना।
नोट - उपरोक्त आंकडे बलभद्र बिरुवा के द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।
Comments
The reason may be blamed on the extremely large Santhal population that stands at a volume of 1 crore and the ignorance of its creamy layer onto the marginalised brethren of their own tribe. Hence, majority of the Santhals jumping into churches to be baptized and take the benefits of the Pop.