खरसावाँ हाट मैदान में 1 जनवरी 1948 को ओड़िशा राज्य काबुआ झारखण्ड राज्य
आबुआ का नारा बुलन्द करने वाले 2000 से ज्यादा हो आदिवासियों को ओड़िशा
पुलिस ने गोलियों से भून दिया था। वहां पर सालों से आदिवासी हो समाज के
रीति रिवाज से शहीदों को श्रदांजलि दी जाती रही है। परन्तु झारखण्ड सरकार
बनने के बाद वहां पर पिछले साल से सरकार की ओर से शहीदों को श्रदांजलि देने का सरकारी
कार्यक्रम हो रहा है। जिसमे शहीदों को हिन्दू रीति रिवाज से पूजा अर्चना
एवं भजन कीर्तन आदि शामिल किया गया है। इस बार इस सरकारी करण का विरोध
आदिवासी हो समाज महासभा जिला इकाई सराइकेला खरसावाँ की ओर से हुआ। लेकिन
उपयुक्त ने महासभा की बातों को दरकिनार कर हिन्दु रीति से ही मुख्य मंत्री
के कार्यक्रम को संचालित किया और भजन आदि हुआ। और वहां पर मुख्यमंत्री ने
शहीद स्थल को राष्ट्रिय पार्क के रूप में विकसित करने का एलान भी किया।
महासभा की जिला इकाई में शाम में इन सब बातों पर चर्चा हुई और महासभा ने
कहा की अपने लोगों की क़ुरबानी तो हमने दे दी पर अब हम अपने संस्कृति का
हिन्दुकरण सहित राष्ट्रिय पार्क आदि बनाने पर आपति करेंगे। महासभा का कहना
है की राष्ट्रिय करण के नाम पर ये लोग फिर भगत सिंह, सुभाष चन्द्र सहित देश
के शहीदों को ये पार्क में जगह देंगे। जो हमें बर्दाश्त नहीं है। साथ ही
कंक्रीट का जंगल बिछा देने से हम प्रकृतिवादी आदिवासियों को प्रकृति से दूर
होना पड़ेगा। जब ये लोग यहाँ के समाज की राय सलाह के बिना ही हिन्दू रीति
रिवाज से कार्यक्रम कर लेते हैं तो अब इन लोगों पर भरोसा नहीं रह गया
है। अब इस पर व्यापक रणनीति बनाकर आन्दोलन करने का रायसुमारी की जा रही है।
इस पर समाज के लोगों से राय आमंत्रित है।
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