आदिवासी हो समाज के लोगों का प्रतिनिधिमंडल जब जयराम रमेश, मंत्री ग्रामीण विकास विभाग भारत सरकार, से २१ अगस्त को मिला था तो चूँकि उन्होंने हो समाज के मांगों पर त्वरित कार्रवाई कर दी थी तो मैंने उन्हें २० अगस्त २०१३ को हुए सरना धर्म कोड के लिए राष्ट्रिय धरना जो जन्तर मंतर में हुआ था की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। और स्पष्ट किया की आदिवासियों को १० करोड़ की संख्या में होने पर भी धर्म कोड से वंचित किया जा रहा है जबकि ४२ लाख की संख्या में होने पर भी जैन धर्म वालों को कोड दिया गया है। तब उन्होंने पूछा की आप लोग किसकी पूजा करते हैं, जिस पर हम लोगों ने कहा की प्रकृति की। हम मूर्ति की पूजा नहीं करते हैं। तब अपने सेक्रेटरी जो वहां बैठे थे उन्हें आश्चर्य से कहते हैं की वाह vineel देखो ये nature की पूजा करते हैं। तब हमने आगे विश्व मंच में सरना को मिली पहचान एवं राष्ट्रिय स्तर पर सरना धर्म कोड के लिए हो रहे आंदोलनों की जानकारी दी। तब उन्होंने पूछा की यदि हम सरना कोड देते हैं तो क्या आपलोग कांग्रेस को वोट देंगे। हमलोग अचानक शांत से हो गए और फिर मैं उसी अंदाज में उन्हें कहा की सर झारखण्ड स्वीप करा देंगे। वे मंद मंद मुस्कुराने लगते हैं। फिर अपने सेक्रेटरी को जनगणना आयुक्त को फोन लगाने के लिए कहते हैं। थोड़ी देर में उधर से फोन आ जाता है और जयराम जी उनसे बात करते हैं। बात हमलोगों के सामने होती है। जयराम जी उनसे कहते हैं की आदिवासी लोग सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं उसमे क्या दिक्कत है। तब उधर से जवाब आता है की कि सर यदि सरना धर्म कोड हम दे देंगे तो लिंगायत समुदाय भी हल्ला कर रहा है फिर अन्य समूह भी यही मांग करने लगेगा। इसीलिए भारत सरकार की मंशा सरना धर्म कोड देने की नहीं है। कुछ और बात होती है और फोन रख कर हमलोगों से बात करने लगते हैं। कहते हैं की लिंगायतों की भी मांग हिन्दू से हटकर अलग लिंगायत की है, इसी तरह की अन्य मांगों के चलते सरकार आपकी यह मांग अभी नहीं मान रही है। हमने फिर जोर देकर कहा की आज सरना धर्म कोड का मामला हमारे sentiment से जुड़ चूका है और इसी मुद्दे से सरकार आदिवासियों को अच्छा सन्देश दे सकती है। फिर गंभीर होकर हमारी ओर देखते हैं, मैं फिर आगे कहता हूँ की सर आप एक बार सरना कोड देकर देखिए ५ लाख लोगों को आपके स्वागत में खड़ा कर देंगे। राहुल गाँधी जी को भी लेकर आइए। ध्यान से देखते हुए इशारों में खुशी एवं आश्चर्य का expression देते हैं, लेकिन चुप रहते हैं फिर मैंने कहा की हो, मुन्डा, संथाल, उरांव आदि आदिवासी समाज के लोग दिल्ली में ही अभी हैं यदि आप और convince होना चाहें तो हमलोग मिलकर सभी आपसे मिलना चाहेंगे। तब उन्होंने रूचि दिखाते हुए कहते हैं की ठीक है हम मिल सकते हैं आपलोग कल शाम ७.३० बजे हमसे मिलीए। उनसे फोन पर बात कर लीजिए। तब वहीँ से मैं बंधन तिग्गा को फोन लगाया तीन चार बार में भी फोन नहीं उठाया, फिर राजू पाहन को लगाया उसने भी नहीं उठाया, फिर संजय पाहन को लगाया उसने भी नहीं उठाया तब मैंने कहा की वे लोग लगता है निकल गए हैं। फिर हमलोगों ने साथ में फोटो खिंचवाने की इच्छा जाहिर की जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया। फोटो खिचवाने के बाद हमलोग वापस बाहर आ गए जहाँ ओड़ीशा के प्रतिनिधिमंडल भी आ चुके थे।
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