हो भाषा आठवीं अनुसूची में आ सकती है -

हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण कदम निम्न हो सकते हैं : 1. लोकसभा में बिल पेश करवाने के लिए पहले तो गृह मंत्रालय से बिल बढ़वाना होगा. कोई भी मंत्री या राज्य मंत्री तब तक किसी बिल पर नहीं सोच सकता जब तक की उसकी पार्टी का उस विषय पर अपना कोई रुख ना हो. यानि भाजपा के शीर्ष नेत्रित्व को विश्वास में लेना होगा. उसमें कौन कौन मुख्य लोग हैं उन्हें चिन्हित कर उन तक अपनी बात पहुंचानी चाहिए. जब पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया तब बिल का लोकसभा में आना तय हो जायेगा. 2. बिल जब लोकसभा में आयेगा तब इसे स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा जायेगा. जहाँ हो समाज के प्रतिनिधि भी अपनी बात रख सकेंगे. 3. चूँकि संविधान संसोधन से ही आठवीं अनुसूची में हमारी भाषा आ सकती है, उसके लिए सदन के  दो तिहाई बहुमत की जरुरत होगी. 4. कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, आदि सभी दलों के प्रमुखों से भी समर्थन के लिए मिलना होगा. 5. विपक्ष यदि इस पर ज्यादा हो हल्ला करे तो भाजपा को भी अपने वोट बैंक के खिसकने का डर रहेगा और गंभीरता दिखा सकता है. 6. उपरोक्त सभी पार्टियाँ तब तक हमारे बातों को गंभीरता से नहीं लेगी जब तक की समाज खुद एकजुट एवं आंदोलित नहीं हो. 7. इस बीच आठवीं अनुसूची में शामिल होने वाली भाषाओँ के अन्य आन्दोलन कारी संगठनों के साथ मिल कर पूरे भारत में आन्दोलन को खड़ा किया जा सकता है.(भोजपुरी, संबलपुरी आदि) 8. हो भाषा आन्दोलन से जुडी सभी संगठनों को भाषाई आन्दोलन से सम्बंधित कागजात फाइल बना कर दिया जाए ताकि सभी संगठन एक ही बात हर जगह से बोले, अलग अलग नहीं. इन मुख्य बिन्दुओं के इर्द गिर्द हो दिशुम में लगातार आन्दोलन, देश एवं राज्य की राजधानियों में लगातार प्रदर्शन आदि जो भी सही लगे करते रहना चाहिए.

Comments

Unknown said…
very god strategy proposed..