राष्ट्रिय आदिवासी विचार गोष्ठी, इंदौर 23-24 जुलाई 2016

राष्ट्रिय आदिवासी विचार गोष्टी
विभिन्न राज्यों के संगठनों द्वारा निम्न तरह की समस्याएं रखी गई :

अशोक चौधरी जी ने स्वागत भाषण में कहा कि आज तक में कई आदिवासी जातियां समाप्त हो गई है। धर्मों के विस्तार और राज्यों के विस्तार से हमारे लोग मारे जा रहे हैं। इतने दिनों में हम लोग अलग अलग धर्मों एवं अलग अलग राज्यों की लड़ाई में शामिल रहे हैं। सामूहिक नेतृत्व एवं दार्शनिक नेतृत्व की कमी ने आदिवासी समाज को विनाश के कगार पर ला खड़ा कर दिया है। हम इसी खोज की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
राजस्थान : राज्य के प्रतिनिधियों ने कहा कि धर्म का विकास ही मनुष्य के दिमाग पर कब्जा कर रखा है तो राज्य सत्ता का विकास हमारी जमीन पर। आज हमें border less, organisation less, religion less, और political less काम की जरूरत है।
सामाजिक संगठन 100% आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे हैं तो राजनितिक लोग 73% आरक्षण की।
महाराष्ट्र : राज्य के प्रतिनिधियों ने कहा कि पेसा कानून जमीन अधिग्रहण का license हो गया है, इस कानून के नहीं रहने से हमारी जमीन को कोई छूता नहीं था पर अब धड़ल्ले से जमीन की लूट चल रही है ग्राम सभा के नाम पर पूछ कर। उन लोगों ने bullet train के आदिवासी क्षेत्रों से जाने पर सवाल किया है। नवीं मुम्बई में  नए बंदरगाह से, स्मार्ट सिटी से, आदिवासी विस्थापन के खतरे से अवगत कराया। हिन्दू और ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों का धर्मान्तरण एक बड़ी चुनौती है। और धर्मान्तरण वहीँ हो रहा है जहाँ राजनितिक लोग ज्यादा हैं। पांचवीं अनुसूची प्रयोग में नहीं है। बड़े बड़े डैम से लाखों आदिवासी ही विस्थापन के शिकार हुए हैं।
ओड़िशा : autonomous district council की लड़ाई को मुख्य लड़ाई बनाने की मुहिम चल रही है। राउरकेला महानगर निगम की स्थापना को चुनौती सड़क से लेकर कोर्ट कचहरी तक दी जा रही है। पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में अपना गवर्नेंस नहीं नहीं होने से आदिवासियों का शोषण बढ़ा है।
आंध्र प्रदेश :  के प्रतिनिधियों ने समता जजमेंट की जीती लड़ाई के बावजूद सम्बंधित सरकारी निरंकुशता का सवाल उठाया। अरक्कू वैल्ली में टूरिज्म के नाम पर आदिवासियों को प्रतिदिन नचाया जा  रहा है, जो अत्यन्त निंदनीय है। समता जजमेंट के बावजूद आदिवासी सहकारी समितियां भी 1 एकड़ खनन अधिकार पर 10 एकड़ में खुदाई कर रही है, जो लालच को प्रदर्शित करता है। जबकि आदिवासियों का nature वैसा नहीं था। समता जजमेंट के बावजूद अभी तक सिर्फ 52 लोगों को ही जमीन का पट्टा दिया गया है, अभी लड़ाई जारी है। कोलावाराम प्रोजेक्ट आदिवासियों को बड़े level पर विस्थपित करेगी।
मध्य प्रदेश : के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य में विभिन्न 80 डैम परियोजनाओं से कुल 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। सरदार सरोवर डैम से 79000 परिवार विस्थापित हुए जिन्हें 1 एकड़ के बदले 3000/ रूपये मात्र दिए गए। एक बार विस्थापित करने के बाद पुनः उन्हीं आदिवासियों को दुबारा विस्थपित किया जा रहा है। 20 एकड़ की कंपनियों की डिमांड पर उन्हें 200 एकड़ दे दिया जा रहा है। अडानी को 1 रुपये एकड़ पर हजारों एकड़ जमीन दी गई। चीनी कंपनी को SEZ की तरह का जमीन उपलब्ध कराया गया है, जहाँ अंदर जाने के लिए चीनी VISA की जरूरत पड़ेगी। धर्मान्तरण भी बड़ा मुद्दा है। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है और हर गांव में मंदिर बनाने के लिए 1400 करोड़ पास कर दिया है। आरक्षण की लड़ाई आदिवासी, दलित और पिछड़ा वर्ग मिलकर लड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं। पारंपरिक इंदल पूजा का भगवा करण कर इन्दर देव का मंदिर सरकार  ने बनवा दिया और खुद मुख्य मंत्री उस पूजा में शिरकत करते हैं।
गुजरात : के प्रतिनिधियों ने कहा कि आदिवासी तीन क्षेत्रों में ही  सास्कृतिक रूप से जीवित हैं। वहां सामाजिक और सास्कृतिक स्थिति अत्यन्त ही दयनीय है। आदिवासी इलाकों में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है। सरकारी अस्पतालों को प्राइवेट हाथों को सौंप दिया गया है। बाकी गुजरात मॉडल वास्तव में आदिवासियों का सामूहिक जनसंहार की योजना है।
झारखण्ड : में मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण, सरना धर्म की पहचान, स्वशासन, स्थानीय नीति, पेसा कानून, नगरपालिका, पांचवीं अनुसूची, वन अधिकार, आदिवासी लड़कियों को दाई के रूप में बाहर ले जाने, तथा नक्सलवाद की लड़ाई लड़ी जा रही है।

इस मंथन को आगे बढ़ाने के लिए आदिवासी समन्वय मंच का गठन किया गया और आगामी 13-14 अगस्त को दिल्ली में अगली बैठक रखा गया।

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