बच्चा चोर

बच्चा चोर : यह एक अभियान है, आदिवासी एवं अल्पसंख्यकों, सरना एवं ईसाईयों में फूट डालने का. इस विशेष अभियान में काले दिखने वाले लोग टारगेट में हैं. झारखण्ड के कोल्हान में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की पकड़ उतनी नहीं है कि अगले चुनाव में यहाँ कुछ विशेष कर सकें. चूँकि क्षेत्र में सी0एन0टी0/एस0पी0टी0 एक्ट के विरोध में आदिवासी समुदाय लगातार आन्दोलन कर रहा है, जिससे भापजा एवं संघ से जुड़े संगठन को ज्यादा कुछ करने को नहीं मिल रहा है, इसलिए यहाँ की सामाजिक एकता को तोड़ने के लिए यह सब प्रायोजित दंगा फैलाया जा रहा है. इसमें खास कर क्षेत्र विशेष में आपसी रंजिश या विवाद को ध्यान में रखकर यह अफवाह फैलाया जा रहा है, ताकि आग जल्दी पकड़े.
राजनगर प्रखंड का शोभापुर एक रेवेन्यू विलेज है, जिसमें एक बस्ती में मुसलमान, तो दूसरे बस्ती कमालपुर में हिन्दू रहते हैं, बीच में थोड़े से संथाल आदिवासी. बैल (हल चलाने हेतू) का धंधा का 19-20 जो भी है मुसलमान बस्ती में होता है, साथ ही मांस का कारोबार भी. इससे सम्बंधित अलग अलग घटनाक्रम के कारण आक्रोश दोनों बस्तियों के बीच चलता आ रहा है.
लेकिन इस बीच बच्चा चोर होने का अफवाह इन आदिवासी इलाकों में फैलता है. इसमें कुछ लोगों के रात के समय पकड़े जाने की बात हो रही है, लेकिन चाहे वह जादूगोड़ा हो, या चांडिल या बोकारो सभी जगह बच्चा चोर के नाम से पकड़ा जाने वाला आदमी रात में कुछ संदिग्ध गतिविधि करते हुए बताया जा रहा है, सभी जगह वह आदमी ठीक से बोल नहीं पा रहा था, पूछने पर ठीक से बता नहीं पा रहा था. और एक साथ अलग अलग जगह एक ही अफवाह फैलता है. आदिवासी जीवन पद्दति में ऐसा कोई उदहारण नहीं मिलता है की संथालों के बीच कुछ हो रहा हो और तुरंत मुंडा आदिवासियों को या उरांव आदिवासियों को पता चल जाए. यानि कोई गिरोह संघ इन अफवाहों को हवा दे रहा है. और यह घटना वहां हो रहा है जहाँ संघ एवं भाजपा के लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा रह रहे हैं. और उनके बीच अल्पसंख्यक. लोगों के अनुसार ऐसा लग रहा है की इस अफवाह को हवा देने के लिए कुछ लोगों को लगाया गया है, जो रात में बच्चे को चुराने का ढोंग रचते हैं. और किसी घर में चुपचाप घुसने एवं हडबडाकर भागने से यह अफवाह हवा  पकड़ रही है की सच में बच्चा चोर आया था. जबकि किसी भी जगह से बच्चा के चोरी होने का रिपोर्ट नहीं है. तात्कालिक बह्सबह्सी में मोब को उकसाकर दंगा किया जा रहा है, और उकसाने वाले लोग संघ या अनुषांगिक इकाइयों से सम्बन्ध रखते हैं. चलिए माना किसी अफवाह से ही सही मगर दंगा फूट पड़ा, लेकिन नतीजा यह हुआ की सी0एन0टी0/एस0पी0टी0 एक्ट के विरुद्ध जो आक्रोश आदिवासी इलाकों में चल रही थी कुछ शिथिल सी हो गई लगता है. आदिवासी दंगा प्रेमी तो नहीं हैं पर इन घटनाक्रमों को नहीं समझ पाने के कारण मोहरा बन रहे हैं. ये वही हथकंडा है जो UP में या अन्य भाजपा सरकार वाले राज्यों में कराया जाता है, और कराया जा रहा है, यानि दंगा. इससे सरकार को अपने जिम्मेदारी से मुक्त रहने में फायदा पहुँच रहा है. बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, जल, जंगल जमीन के हक और अधिकार के धिक धिक से मुक्ति मिल रही है. यही तो मोदी और रघुवर चाहते हैं. अर्थात यह सब स्टेट प्रायोजित है.

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