पत्थरगढ़ी के मौजूदा विवाद से झामुमो को नुक़सान

पत्थरगढ़ी विवाद की जो सूचना पश्चिमी सिंहभूम जिले से आ रही है वह राजनीतिक घटनाक्रम का एक हिस्सा है। चार-पांच महीने में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उसके लिए ध्रुवीकरण का काम भाजपा ने सोची-समझी साजिश के तहत शुरू कर दिया है। पत्थलगड़ी वाले लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे यह स्पष्ट है, इसीलिए उन लोगों पर कार्रवाई करके वह अपना इरादा तो जता दिया। समाज को पत्थरगढ़ी समर्थक और पत्थरगढ़ी विरोधी में ध्रुवीकरण करने के लिए यह अभ्यास शुरू किया गया है। यह कार्रवाई रघुवर सरकार ने पुनः शुरू किया है, इससे पहले लोकसभा चुनाव के पहले भी किया गया था। झामुमो ने खूंटी में पत्थरगढ़ी का समर्थन किया था, लेकिन चक्रधरपुर के स्थानीय विधायक मामला को नहीं समझ पाए और पत्थरगढ़ी के विरोध में उतर आए। अब पत्थरगढ़ी समर्थक उसके विरोधी हो गए ।
पत्थर गढ़ी समर्थक यदि वोट बहिष्कार भी कर देंगे तो झामुमो हारेगी, क्योंकि भाजपा का वोट शेयर तो फ़िक्स है। भाजपा को हराने के लिए झामुमो को सोच समझ कर रणनीति तय करनी होगी नहीं तो कोल्हान जो अब तक तक किसी भी राजनीति का अखाड़ा नहीं बना है, इस बार बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जोश जोश में विधायक को इतनी बड़ी सभा प्रशासन के सहयोग से सम्भव हुआ। भीड़ देख कर विधायक जी जो मन में आया बक दिए। अब आगे आगे देखिए॰॰॰॰॰॰ चूँकि आप कुछ तो कर नहीं सकते।

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